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दिल्ली अध्यादेश आज संसद में पेश होने के आसार

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दिल्ली। 20 जुलाई को शुरू हुए संसद (SANSAD) के मानसून सत्र में मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर कई बार व्यवधान देखने को मिला है। अब केंद्र सरकार दिल्ली सेवा अध्यादेश की जगह लोकसभा में विधेयक पेश करने की तैयारी में है। ऐसे में अगले सप्ताह भी संसद में हंगामे के आसार बढ़ गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक राजग के खिलाफ एकजुट विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है।

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अध्यादेश के खिलाफ SC भी पहुंच चुकी है आप

केंद्र के इस अध्यादेश के खिलाप आम आदमी पार्टी (SANSAD)ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इस के विरुद्ध दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुकी है। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी अध्यादेश के विरोध में उतर आए हैं। सरकार ने लोकसभा में 13 मसौदा विधेयकों को विचार और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है, जबकि अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भी स्वीकार किया जा चुका है। आइएएनएस के अनुसार, कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर दो अगस्त से चर्चा की शुरुआत हो सकती है। अब हम आपको समझाते हैं कि इन दिनों लोकसभा सदन सरकार और विपक्ष के बीच अखाड़ा क्यों बना हुआ है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के खिलाफ विपक्ष को एक बार फिर से एकजुट कर दिया है। लिए एक रैली स्थल बन गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के खिलाफ विपक्ष को फिर से एकजुट कर दिया है।

दिल्ली सेवा अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (SANSAD) की पार्टी (आप) ने विधेयक को राज्यसभा में पास ना होने देने के लिए कई विपक्षी दलों का समर्थन मांगा था। काफी जिद्दोजहद के बाद उन्होंने कांग्रेस समेत कई दलों का मिल गया है। साथ ही आप सत्तादल के खिलाफ तैयार हुए गंठबंधन इंडिया का हिस्सा है। वहीं, विपक्षी दलों ने बीते हफ्ते सदन में प्रधानमंत्री से मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग को लेकर जोरदार हंगामा किया, जिससे संसद की कार्यवाही बार-बार प्रभावित हुई।

गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के हंगामे को देखते हुए कहा कि वह मणिपुर मामले पर संसद में चर्चा और विपक्षी दलों के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हैं। वहीं, विपक्षी दलों ने गृह मंत्री के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और पीएम मोदी को संसद में मणिपुर हिंसा पर बोलने के लिए अपनी आखिरी कोशिश के रूप में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा विपक्षी दलों का अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद से विपक्ष अपने विधायी एजेंडे पर आगे बढ़ने के सरकार के रुख से मुश्किलों में है।