बिलासपुर। महिला यौन उत्पीड़न के आरोप में फंसे पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि हाई कोर्ट (BILASPUR NEWS) ने विशाखा कमेटी की अनुशंसा पर किसी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई करते हुए जस्टिस साहू ने राज्य शासन और विशाखा कमेटी के चेयरमैन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है।
याचिका में महिला कर्मी ने महाप्रबंधक पर आरोप लगाया है कि विशाखा कमेटी में महाप्रबंधक के नीचे काम करने वाले कर्मचारी ही सदस्य हैं। वे उनके प्रभाव में रहते हैं। ऐसी परिस्थिति में उनको न्याय मिलने में संदेह है। याचिकाकर्ता ने दूसरी जांच कमेटी बनाने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने दोषी अधिकारी की प्रतिनियुक्ति समाप्त करने की मांग भी की है।
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विभाग में काम करने वाली एक महिला कर्मी ने महाप्रबंधक पर यौन उत्पीड़न के साथ ही मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता महिला (BILASPUR NEWS) ने आरोप लगाया है कि महाप्रबंधक अरविंद कुमार पांडेय ने शिकायत की है कि काम के बहाने वे अपने कक्ष में बुलाकर गलत व्यवहार करते हैं। याचिकाकर्ता ने आशंका जाहिर की है कि विखाशा कमेटी की जांच को अधिकारी प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर उसे बाहर किया जाए।
शिकायत लेने बनाया दबाव
याचिकाकर्ता पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि जब कमेटी की पहली बैठक हुई उसी समय सदस्यों ने शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया था। इस संबंध में उसने राज्य शासन को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत पर आजतक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
कमेटी ने सौंप दी है रिपोर्ट
बुधवार को जस्टिस पीपी साहू के कोर्ट में सुनवाई के दौरान पाठ्यपुस्तक निगम की तरफ से पैरवी करते हुए वकील ने बताया कि विशाखा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कोर्ट ने विशाखा कमेटी की अनुशंसा पर किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। राज्य शासन और कमेटी को नोटिस जारी कर कोर्ट ने जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
शिकायतकर्ता ने कमेटी को नहींं किया सहयोग
पाठ्यपुस्तक निगम (BILASPUR NEWS) की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी, अनिमेश तिवारी और अर्जित तिवारी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने महाप्रबंधक के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। विशाखा कमेटी की जांच के दौरान वे अपनी गवाही देने के लिए उपस्थित भी नहीं हुई। जांच कमेटी को सहयोग भी नहीं किया है। ऐसे में कमेटी के ऊपर असहयोग करने या फिर प्रभाव में आने की उनके द्वारा आशंका जाहिर करना उचित नहीं है।