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झीरम घाटी हत्याकांड: NIA की अपील खारिज, अब राज्य की जांच एजेंसी जांच के लिए स्वतंत्र

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बिलासपुर। झीरम घाटी हत्याकांड में दिवंगत उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाने में साल 2020 में हत्या और षडयंत्र का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था। इस केस को NIA ने जगदलपुर की विशेष अदालत में चुनौती दी थी। इस केस को NIA को सौंपने की मांग भी की गई थी, लेकिन विशेष अदालत ने आवेदन को खारिज कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ NIA ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस प्रकरण की जांच पर रोक लगा दी थी। अब बिलासपुर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है और NIA की अपील को खारिज कर दिया है। अब राज्य सरकार की जांच एजेंसी जांच के लिए स्वतंत्र है।

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8 फरवरी को NIA की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने बहस की थी। उन्होंने NIA एक्ट का हवाला देकर कहा था कि जिस मामले की NIA जांच कर चुकी है, उस पर राज्य शासन को जांच करने का अधिकार नहीं है। एनआईए ने झीरम घाटी हमले पर दरभा थाना द्वारा की गई दूसरी एफआईआर पर रोक लगाने और उसकी जांच एनआईए को ही दिये जाने का अनुरोध किया। इसके बाद शासन की तरफ से भी पक्ष रखा गया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला आया है।

25 मई 2013 को हुआ था झीरम नक्सली हमला

25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर हमला कर दिया था। इस नरसंहार में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा और सुरक्षाबलों सहित 29 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें कांग्रेस के 20 से ज्यादा नेता मारे गए थे। बताया जाता है कि बस्तर में रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिल सुकमा से जगदलपुर जा रहा था। काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं. जिनमें लगभग 200 नेता सवार थे।