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BHAIYAJI SPECIAL: RAILWAY के इंजीनियरों का प्रयोग बना चर्चा का विषय, वर्षों पुराने इंजन से लेंगे अब ये काम

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बिलासपुर। बिलासपुर रेल मंडल (RAILWAY) के इंजीनियर अपने प्रयोगों को लेकर रेलमंडल में हमेशा चर्चा का विषय बने रहते है। रेल मंडल के कोचिंग डिपों में कालातीत मेमू (मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) के रेल इंजन को मरम्मत और रूपांतरित कर उसे निरीक्षण यान बनाने में सफलता पाई है। इंजीनियरों ने अब भिलाई से मेमू के एक पुराने इंजन को मंगाया गया है। इलेक्ट्रिक व मैकेनिकल विभाग की टीम इसका आकलन कर रही है। इसके बाद लागत, उपयोगी उपकरण समेत अन्य खर्च का ब्योरा तैयार कर मुख्यालय भेजा जाएगा। बजट को हरी झंडी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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अब तक ये प्रयोग कर चुके RAILWAY इंजीनियर

कोचिंग डिपों के इंजीनियर अपने प्रयोगों को लेकर चर्चा में रहते है। निरीक्षण यान बनाने से पूर्व यहां के इंजीनियर बच्चों के खिलौने वाली कार से ट्रेनों के नीचे निरीक्षण एवं बायोटायलेट लगाकर टॉयलेट से बदबू दूर करने का इजात कर चुके है। यह सब काम बिलासपुर रेल मंडल की उपलब्धियों में आते हैं। अब एक और मेमू इंजन आया है। जिसे निरीक्षण यान के रूप में रूपांतरित करना है।

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25 साल से पुराने इंजन में प्रयोग

RAILWAY के अधिकारियों ने बताया, कि इंजीनियर भिलाई से आए 25 साल पुराने इंजन में प्रयोग कर रहे हैं। रेलवे में नियम है कि इस अवधि के बाद किसी भी इंजन को ट्रेन या मालगाडी के परिचालन के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है, लेकिन दूसरे उपयोग जैसे निरीक्षण यान, सेलून आदि के रूप में रूपांतरित कर चलाया जा सकता है। इसीलिए रेलवे ने यह निर्णय लिया है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो इस प्रयोग को करने में ५० से ६० लाख का खर्च आएगा। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी साकेत रंजन ने इस प्रयोग के होने की पुष्टि की है।