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पंचायत चुनाव मतदान के दौरान बंगाल में चुनावी हिंसा, 13 लोगों की हुई मौत

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में गुरुवार को दोपहर 3 बजे तक 50.33 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि, राज्य भर में चुनाव संबंधी हिंसा में कम से कम 13 लोगों की जान चली गई है।

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मुर्शिदाबाद जिले में सबसे अधिक चार मौतें हुई हैं, इसके बाद मालदा, कूच बिहार और पूर्वी बर्धवान जिलों में दो-दो मौतें हुईं। जबकि, नदिया, दक्षिण 24 परगना और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में एक-एक मौत हुई।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 8 जून को मतदान की तारीख के ऐलान के बाद से चुनाव संबंधी हिंसा में कुल 32 लोगों की जान चली गई है। हालांकि, राज्य चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा के अनुसार, मतदान के दिन दोपहर 3 बजे तक मरने वालों की संख्या तीन थी।

सिन्हा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जहां भी गड़बड़ी की शिकायत मिल रही है वहां सुरक्षाबल कार्रवाई कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के अलग-अलग हिस्सों से मतदान कर्मियों के साथ धक्का-मुक्की और मारपीट की खबरें भी आईं हैं।

राज्य सरकार के कर्मचारियों के संयुक्त मंच ने मतदान अधिकारियों की दुर्दशा के लिए राज्य चुनाव आयोग के घोर कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। यह भी कहा कि हम शुरू से ही दावा करते रहे हैं कि केंद्रीय सशस्त्र बलों की उचित तैनाती के बिना मतदान कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती। लेकिन, मतदान के दिन केंद्रीय बलों की जमीनी मौजूदगी मुश्किल से ही दिखी।

संयुक्त मंच के संयोजक भास्कर घोष ने कहा, कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार मतदान कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में आयोग बुरी तरह विफल रहा है। इसीलिए, हमने कलकत्ता हाईकोर्ट में राज्य चुनाव आयुक्त और चुनाव पैनल के अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने का फैसला किया है।

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इस बीच केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने ट्वीट कर पूछा, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी किसी भी चुनाव में हिंसा, खून-खराबे के बिना संतुष्ट क्यों नहीं होतीं ? उनकी क्या मजबूरी है ? मतदान की तारीखों की घोषणा के बाद से ही लोकतंत्र की हत्या शुरू हो जाती है। वे चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।