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रेहर माइंस प्रभावितों को नहीं मिली नौकरी खेत बंजर हुए तो जंगल किनारे बसने लगे

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अंबिकापुर। सूरजपुर जिले के बिश्रामपुर इलाके (AMBIKAPUR NEWS) के रेहर कोल माइंस में 455 किसानों की जमीन चली गई, लेकिन इसमें से तीन सौ किसानों को न तो नौकरी मिली है और न ही मुआवजा। इतना ही नहीं 155 किसानों को मुआवजा तो दिया गया है,लेकिन इसमें से 98 को नौकरी नहीं मिली।

वहीं हालत यह है कि जमीन से हाथ धोने वाले किसान माइंस की जमीन पर खेती करना चाहते हैं,लेकिन नीचे माइंस चलने के कारण भू जल स्तर 350 फीट नीचे चला गया है और खेत बंजर हो गए हैं। इससे परेशान 35 परिवारों ने जंगल किनारे जाकर घर बना लिया है और बस्ती छोड़ दी। नाराज लोग अब एक मार्च को एसईसीएल के खिलाफ माइंस के बाहर चक्काजाम कर प्रदर्शन करने के साथ माइंस में तालाबंदी करेंगे।

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ग्रामीणों (AMBIKAPUR NEWS)  ने बताया कि वर्ष 1998 से 2006 के मध्य 155 भूस्वामियों का भूमि अधिग्रहण एसईसीएल ने किया। इनमें से 57 प्रभावित भूस्वामियों को नौकरी दी गई, शेष 98 भूस्वामी नौकरी से वंचित है। वर्तमान में 289 हेक्टेयर कृषि भूमि के भूगर्भ से कोल खनन हो रहा है, वहीं 289 हेक्टेयर कोल संधारण क्षेत्र है, जहां कंपनी द्वारा चिन्हित कर प्रचुर मात्रा में कोल दोहन किया जा चुका है।

वहीं भू सतह पर घनी आबादी व कृषि योग्य भूमि है,जो वर्तमान में जल के आभाव में बंजर हो चुकी है। 455 किसानों में 300 को तो न मुआवजा मिला है और न नौकरी। रेहर माइंस के सब एरिया मैनेजर संजय मिश्रा ने बताया कि उनसे सरपंच ने बताया था कि लोगों को मुआवजा नहीं मिला है। इस पर अधिकारियो को अवगत कराया था। मुआवजा व नौकरी के संबंध में जानकारी नहीं है।

सरपंच ने कहा: न नौकरी दे सके, न ही मुआवजा

सरपंच गिरधारी लाल आयाम (AMBIKAPUR NEWS)  ने बताया कि किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। अफसरों से बात करते हैं तो जवाब मिलता है कि महाप्रबंधक कार्यालय को जानकारी भेजी गई है, लेकिन जब तक न नौकरी मिली, न ही मुआवजा। एक मार्च को प्रदर्शन करेंगे।