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विधानसभा में किसानों के मौत की गूंज, गृहमंत्री बोले मुवावज़ा का प्रावधान नहीं

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रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में किसानों की मौत का मामला भी उठा। बजट सत्र के दौरान आज भाजपा के विधायक कृष्णमूर्ति बांधी ने इस मुद्दे पर सवाल दागा था। जिसके बाद बांधी समेत विपक्ष ने सरकार की तगड़ी घेराबंदी की।

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विधायक कृष्णमूर्ति बांधी ने सदन में सवाल उठाते हुए कहा कि “जनवरी 2019 से 12 2022 तक प्रदेश में कितने किसानों द्वारा आत्महत्या की है, इन्हे सरकार ने मुआवजा / सहायता राशि दी है ? मुआवजा और सहायता राशि देने का क्या नियम है ? बांधी ने प्रदेश में आत्महत्या करने वाले किसानों में से कितने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के किसान थे ?

जिसके जवाब में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया कि ” छत्तीसगढ़ में वर्ष जनवरी 2019 से लेकर 12फरवरी 2022 तक तक 570 किसानों ने आत्महत्या की है। गृहमंत्री ने सदन में बताया जनवरी 2019 से लेकर फरवरी 2022 तक कुल 570 किसानों ने आत्महत्या की है,

जिसमें 187 अनुसूचित जनजाति, 79 अनुसूचित जाति और 304 सामान्य वर्ग के किसान है।” गृहमंत्री ने यह भी कहा कि जिन किसानों ने आत्महत्या की है उसमें केवल दो किसानों ने कृषिगत कारणों से आत्महत्या की है, जबकि बाकी किसानों के आत्महत्या का कारण कृषि से संबंधित नही है।”

विधायक बांधी के मुवावजे और सहायता राशि के प्रावधान से जुड़े सवाल एक जवाब में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि “किसानों के परिजनों को कोई मुआवजा राशि नही दी गई है और आत्महत्या करनेवाले किसानों को मुआवजा देने का कोई प्रावधान नही है।”

उत्तरप्रदेश में तो यहाँ क्यों नहीं-कौशिक

गृहमंत्री के इस जवाब के बाद इस प्रश्न के चर्चा में भाग लेते हुए राज्य के नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि “जब राज्य के मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के किसानों को 50-50 लाख का मुआवजा दे सकते हैं ? तो छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए मुआवजा का प्रावधान क्यों नही किया जा सकता।

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इसके जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के किसानों के परिजनों को स्वेच्छानुदान कोष से राशि दी है, जो उनका विवेकाधिकार होता है, ना कि मु्आवजा के तौर पर रकम दी गई है।