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अख़बार में लेपेटे हुए गर्म नाश्ते का उठा रहे है लुत्फ़…तो ठहरिए…हो सकता है कैंसर

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रायपुर। अगर आप भी किसी होटल से समोसा बड़ा जैसी कोई चीज़ ले रहे है, और उसकी पैकिंग के लिए अखबार का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो सावधान हो जाइए ! ऐसे अखबारों में गर्म नाश्ते की पैकिंग और खाने से आप भी कैंसर का शिकार हो सकते है। जी बिल्कुल सही पढ़ा आपने…अखबार में गर्म नाश्ते की पैकिंग से उसमें कैंसर के कारक सामने आए है।

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इस संबंध में महाराष्ट्र सरकार के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने एक रिसर्च के आधार पर ये दावा किया है। इस दावे में विभाग के आला अफसरों ने कहा कि “अखबारों को छापने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में रसायन होते है, जो गर्म खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने पर घुल जाते है, जिसके बाद ये खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।”

खाद्य एवं औषधि प्रशासन के मुताबिक “अखबारों के अखबारों में स्याही अपच का कारण बनती है। किसी अखबार या मैगजीन के पेपर को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री ज्यादा खतरनाक होती है। इसमें अखबार की छपाई के लिए डाइब्युटिल फथलेट और डाइन आइसोबुटिल रसायन होते है, जो गुर्दे एवं फेफड़े से संबंधित रोग, स्किन कैंसर जैसी बीमारियों का भी कारक बन सकता है।”

पुणे में हुआ बैन अखबार में पैकिंग

महाराष्ट्र सरकार के खाद्य एवं औषधि विभाग के द्वारा किए गए रिसर्च के बाद सबसे पहले पुणे में अखबारों में गर्म खाना पैक करने पर पाबंदी लगा दी है। यहां किसी भी गर्म खाद्य पदार्थ के लिए अखबार के कागज का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। अक्सर स्ट्रीट वेंडर्स अखबार में पोहे, बटाटा वाड़ा, भेल, झालमुड़ी जैसे गर्म एवं अन्य खाद्य पदार्थ परोसे जाते है। जिस पर पुणे ने पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।

छत्तीसगढ़ में भी उठ रही मांग

इधर छत्तीसगढ़ में इस मामलें में कुछ संगठनों ने ये मांग जोरशोर से उठाई है। इन संगठनों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में भी 99 फीसदी होटल और ठेले-खोमचे वाले खाने की चीज़ों की पैकिंग के लिए अखबार का इस्तेमाल करते है।

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महाराष्ट्र के रिसर्च के आधार पर छत्तीसगढ़ में भी इसे बैन किया जाना चाहिए। इन संगठनों ने अखबार और पॉलीथिन के खिलाफ जल्द ही अभियान चलाने की बात भी कही है।