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कृषि कानून : अन्नदाता और सियासतदानों के बीच नहीं बनी बात, एक और तारीख़…

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नई दिल्ली। कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अडिग अन्नदाता और सियासतदानों के बीच आज हुई चर्चा भी बेनतीजा रही।

इस चर्चा के खत्म होते ही किसानों ने तीखे तेवर दिखाते हुए कृषि कानून वापसी की बात कही है। वही कृषि मंत्री ने आज की स्वस्थ माहौल में चर्चा होने की बात कही।

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दोपहर दो बजे विज्ञानं भवन में के खत्म होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि ” 8 तारीख को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी। तीनों कृषि क़ानूनों को वापिस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से बात होगी। हमने बता दिया है क़ानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।”

कुछ इसी तरह के तेवर दिखाते हुए एक अन्य किसान नेता ने कहा कि ” हमने बताया कि पहले कृषि क़ानूनों को वापिस किया जाए, MSP पर बात बाद में करेंगे। 8 तारीख तक का समय सरकार ने मांगा है।”

उन्होंने कहा कि “8 तारीख को हम सोचकर आएंगे कि ये क़ानून वापिस हम कैसे कर सकते हैं, इसकी प्रक्रिया क्या हो ?”

वहीं किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि “सरकार को यह बात समझ आ गई है कि किसान संगठन कृषि क़ानूनों को रद्द किए बिना कोई बात नहीं करना चाहते हैं। हमसे पूछा गया कि क्या आप क़ानून को रद्द किए बिना नहीं मानेंगे, हमने कहा हम नहीं मानेंगे। जिसके 8 जनवरी तक का समय माँगा गया।”

कृषि कानून हटाने की मांग पर अड़े किसान-तोमर

इधर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं से मुलाकात के बाद कहा कि “चर्चा का माहौल अच्छा था, परन्तु किसान नेताओं के कृषि क़ानूनों की वापसी पर अड़े रहने के कारण कोई रास्ता नहीं बन पाया। 8 तारीख को अगली बैठक होगी। किसानों का भरोसा सरकार पर है इसलिए अगली बैठक तय हुई है।

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उन्होंने कहा कि “चर्चा जिस हिसाब से चल रही है, किसानों की मान्यता है कि सरकार इसका रास्ता ढूंढे और आंदोलन समाप्त करने का मौका दे।” तोमर ने कहा कि “सरकार देशभर के किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है। सरकार जो भी निर्णय करेगी, सारे देश को ध्यान में रखकर ही करेगी।”