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कांकेर के पहाड़ों में “छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा” ने खोजी 60 प्रकार की औषधि

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कांकेर। कांकेर जिले के ग्राम उड़कुड़ा में पंचायत भवन में बेस कैम्प बनाकर उड़कुड़ा की अंढवा डोंगरी पहाड़ी क्षेत्र,परेंवा डोंगरी पहाड़ी क्षेत्र,आवास पारा चितवा पारा स्थित छोटी पहाड़ी क्षेत्र में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के सदस्यों ने पूरे पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 60 प्रकार की औषधि पौधों की पहचान की है।

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इस टीम में 7 वैद्यराज,6 आयुर्वेदिक डाक्टर, 8 असिस्टेंट प्रोफेसर, 15 वनस्पति शास्त्री, 2 राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक, 11 शिक्षक सहित रिसर्चर, फेलो व बड़ी संख्या में विद्यार्थी शामिल थे। इस दौरान यहाँ एक परिचर्चा में का भी आयोजन किया गया, जिसमें खोजे गए पौधों की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही उनके गुण, उपयोग के बारे में ग्रामीण जनों को बताया। वहीं इन पौधों के क्षेत्रीय नाम सहित बॉटनिकल नाम भी छात्रों और ग्रामीणों को बताए।

इन क्षेत्रों में पाए जाने वाले विशेष प्रकार के औषधि पौधे जिसमें शंखपुष्पी, गौ जिव्हा, मुसली,चिरायता, अडुसा, शिवलिंगी, गुंजा, कुछला, निर्मली, बिकामली, जलजम्नी, शतावरी, विधारा, गिलोयइस औषधीय पौधों की पहचान की गई, तथा उनके स्थानीय नाम के साथ साथ वैज्ञानिक नाम भी जाने गए।

तीन दिनों के इस कार्यक्रम के दौरान इस जंगल में प्रमुख रूप से मिलने वाले औषधीय पौधों-भुई नीम, अडूसा, वज्रदंती, शंखपुष्पी के पौधों के साथ साथ हर्रा, बेहड़ा, अर्जुन, मैदा, वृंदक ,अनंत मूल, गुंजा, स्वर्ण चंपा, घोड़ा घास आदि 60 से अधिक औषधि पौधों की खोज की।

शाम को परिचर्चा के रूप में सभी लोगों ने अपना अनुभव शेयर किया। इस खोज यात्रा में सभी लोग बेस कैंप से यात्रा शुरू कर पहाड़ी में सुबह 8:00 बजे से 3:00 बजे तक खोजते रहे खोज यात्रा में यहां के प्रमुख ग्रामीण मेहर सिंह नरेटी एवं गांव के गांयता जान सिंह जुर्री ,पूर्व सरपंच वीरेंद्र तारम की अगवाई में पुरी यात्रा संपन्न हुई।

देखें आदिमानवों द्वारा बनाए गए शैल चित्र

खोज यात्रा के सभी सदस्यों ने उड़कूड़ा की ऐतिहासिक पहाड़ी स्थल जोगी गुफा व कचहरी क्षेत्र में स्थित पाषाण कालीन शैल चित्रों को भी देखा। अंढ़वा डोंगरी पहाड़ी क्षेत्र स्थित चंदा पखरा क्षेत्र में आदिमानवों द्वारा बनाए गए शैल चित्रों को भी देखा साथ ही आसपास के क्षेत्र में स्थित औषधि पौधों का संकलन किया। यात्रा के दूसरे दिन रात्रि में स्काईवॉचर के द्वारा समस्त ग्रामवासियों, विद्यार्थियों को टेलिस्कोप के माध्यम से विभिन्न ग्रहों उपग्रह की स्थिति को दिखाया गया इसे देख विद्यार्थी काफी रोमांचित हुए, विशेषज्ञों ने विद्यार्थियो तथा ग्रामीणों के द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि इस प्रकार की गतिविधियों से छात्रों को सीखने तथा जानने का अवसर प्राप्त होता है। वे पुस्तक में पढ़े गए पौधों को प्रत्यक्ष देख पाते हैं, उनको पहचान पाते हैं।

अंधविश्वास मिटाने का कर रहे कार्य

इस यात्रा में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष विश्वास मेश्राम, राज्य सचिव पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. वाय. के. सोना, वनस्पति वैज्ञानिक डॉक्टर दिनेश कुमार, आयुर्वेद चिकित्सक एवं असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ विवेक दुबे, जीव वैज्ञानिक डॉ एच एन टंडन, भूगोल विद,डॉ पीयूष भारद्वाज, रतन गोंडाने, लालाराम सिन्हा,आर बी एस बघेल, असिस्टेंट प्रोफेसर पुष्पलता कंवर, खुश्बू कश्यप, डां.सरस्वती बरवंशी, वेदव्रतउपाध्याय, राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक अनुपम जोफर आदि उपस्थित थे।

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कार्यकारी अध्यक्ष विश्वास मेश्राम ने कहा कि विज्ञान सभा के कार्यकर्ताओं द्वारा गांवों में जाकर विभिन्न गतिविधियों के प्रर्दशन के माध्यम से स्कूल, कॉलेज के शिक्षकों और छात्र छात्राओं के साथ मिलकर समाज में फैले हुए अंधविश्वासों को दूर करने के लिए विज्ञान के प्रयोग दिखाए जा रहे हैं। हम सब समाज से अंधविश्वास मिटाने का उपयोगी कार्य कर रहे हैं।