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खड़ग, त्रिशूल, तलवार जैसे कई शस्त्रों के साथ वीर मुद्रा में सजी माँ महामाया

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रायपुर। शारदीय नवरात्रि पर्व की आज महानवमी तिथि के दिन राजधानी में जगह जगह कन्या पूजन किया गया। इसके साथ ही देवी मंदिरों में भी आज विशेष श्रृंगार किया गया। राजधानी के प्राचीन माँ महामाया मंदिर में भी महामाया देवी और सम्लेश्वरी देवी का “वीर मुद्रा” में भव्‍य शस्‍त्र श्रृंगार किया गया।

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पूरे आठों हाथों में शस्‍त्र धारण के साथ ही आर्कषक व दुर्लभ दर्शनीय श्रृंगार है। यह शस्त्र सिंगार पुरे वर्ष भर में मात्र 2 बार ही नवरात्रि पर्व में ज्योति विसर्जन के दूसरे दिन अर्थात कन्या पूजन वाले दिन ही किया जाता है।

पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि “प्राचीन परंपरा के अनुसार महामाया मंदिर में ज्योति विसर्जन के बाद ही कन्या पूजन किया जाता है। कन्या पूजन के समय मन्दिर परिसर में जितनी भी संख्या में कन्या और भैरव रूप में छोटे बच्चे उपस्थित रहते है, सभी की विधि विधान से पूजा करके भोजन कराया जाता है।

महानवमी : लगाया गया माँ को राजभोग

पंडित शुक्ला ने बताया कि इसके बाद मध्यान्ह की आरती होगी जो कि नवरात्रि पर्व के सम्पन्न होने वाली मध्यान्ह महाआरती रहती है। इसके पश्चात माँ महामाया और देवी सम्लेश्वरी जी को राजभोग लगाया गया। उन्होंने बताया कि 9 दिन पर्यन्त केवल मध्यान्ह में फलाहारी भोग ही लगता है,

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लेकिन आज से माँ महामाया और देवी सम्लेश्वरी को समस्त प्रकार के षडरस व्यंजन का भोग लगाया गया। इसके बाद पिछले 9 दिन तक चौबीस घंटे तक लगातार खुले रहने वाले मंदिर के पट कुछ समय विश्राम के लिये बन्द किया जाता है।