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एनईपी: अब चार साल का होगा स्नातक, हिंदी माध्यम में होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई

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रायपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू होते ही छत्तीसगढ़ में शिक्षा में सुधारों की मुहिम तेज हो चुकी है। स्कूली शिक्षा में पहली बार प्री स्कूल का सरकारी पाठ्यक्रम स्कूलों तक पहुंचेगा।

वहीं उच्च शिक्षा में तीन वर्ष की बजाय चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला मिलेगा। तकनीकी शिक्षा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़ी 25 से अधिक सिफारिशों को तेजी से लागू करने में शिक्षा विभाग जुट गया है। नए शिक्षा सत्र 2023-24 से ये बदलाव दिखेंगे। एनईपी के तहत केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 300 सिफारिशों को चिन्हित किया था।

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उच्च शिक्षा में ये दिखेंगे बदलाव

  • चार वर्षीय स्नातक- विश्वविद्यालयों और कालेजों में संचालित तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (NEP)  की जगह चार वर्षीय एकीकृ त पाठ्यक्रम लागू हो जाएगा। आठ स्वशासी कालेजों में चार वर्षीय स्नातक सेमेस्टर आधारित पाठ्यकम प्रभावी हो गया है। इनमें रायपुर का साइंस कालेज, डिग्री गर्ल्स कालेज, छत्तीसगढ़ कालेज, दुर्ग का वीवाईटी, दिग्विजय कालेज राजनांदगांव, राघवेन्द्र कालेज, बिलासा कन्या कालेज बिलासपुर, पीजी कालेज सरगुजा शामिल हैं। बीए, बीकाम, बीएससी, बीएचसी आदि स्नातक पाठ्यक्रम की अवधि चार वर्ष की होगी। हेमचंद विश्वविद्यालय दुर्ग, संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय अंबिकापुर, अटल बिहारी विश्वविद्यालय बिलासपुर, पं. रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर समेत अन्य विश्वविद्यालयों में यह लागू हो जाएगा।
  • स्कूल शिक्षा में ये प्रमुख बदलाव
  • शिशु शिक्षा एवं देखभाल : पांच से छह वर्ष के विद्यार्थियों के लिए 6500 स्कूलों व बालवाड़ी की शुरुआत हो चुकी है। शिशु शिक्षा एवं देखभाल कार्यक्रम (ईसीसीई) के तहत नौनिहालों के लिए पहली बार प्री स्कूल का पाठ्यक्रम बनाया गया है।
  • प्री स्कूल का पाठ्यक्रम: प्री स्कूल में नर्सरी व पीपी वन के लिए पाठ्यक्रम बन गया है और तीसरे वर्ष का पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है।
  • आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता: बुनियादी भाषा और अंक ज्ञान कराने (NEP)  के लिए विशेष प्रविधान किया गया है। प्रदेश में भी यह लागू हो गया है।
  • खिलौना आधारित शिक्षा: प्री स्कूल के पाठ्यक्रम के साथ विद्यार्थियों को खिलौना मुहैया कराने के लिए नए सत्र में काम शुरू हो जाएगा। खिलौने खरीदने की तैयारी चल रही है।
  • बहुभाषा में शिक्षण: छत्तीसगढ़ की 16 स्थानीय बोली-भाषा में छत्तीसगढ़ी (रायपुर, दुर्ग, बस्तर संभाग), छत्तीसगढ़ी (बिलासपुर एवं सरगुजा संभाग), दोरली, हल्बी, भतरी, धुरवी, गोंडी (कांकेर क्षेत्र ), गोंडी (दंतेवाड़ा क्षेत्र), गोंडी (बस्तर क्षेत्र), सादरी, कमारी, कुडुख, बघेली, सरगुजिहा, बैगानी और माड़िया में पढ़ाई शुरू हो चुकी है।
    बस्ता विहीन स्कूल: प्रत्येक शनिवार बस्ताविहीन स्कूल की योजना शुरू हो चुकी है।
  • तकनीकी शिक्षा: हिंदी माध्यम से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने को स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी (सीएसवीटीयू) ने इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष के लिए पांच किताबों को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवादित किया है।