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पुन्नी मेला: राजा ब्रह्मदेव ने संतान प्राप्त होने पर कराया था प्रजा को भोज, जानिए इसकी 600 साल पुरानी कहानी

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रायपुर। राजधानी की जीवनदायिनी खारुन नदी के किनारे महादेवघाट पर हर साल कार्तिक पूर्णिमा (PUNNI MELA) पर विशाल मेला का आयोजन किया जाता है।

धर्म ग्रंथों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में पुण्य की डुबकी लगाने की मान्यता है। इस मान्यता का पालन हजारों साल से ऋषि, मुनि, गृहस्थजन करते आ रहे हैं। खारुन नदी में भी डुबकी लगाने की परंपरा निभाने हर साल हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। राजधानी में कार्तिक पूर्णिमा की खास विशेषता यह है कि पुण्य की डुबकी लगाने के साथ ही ग्रामीण प्राचीन हटकेश्वर महादेव का दर्शन करते हैं। मंदिर के समीप ही लगने वाले भव्य मेले में घूमने, मनोरंजन के लिए झूला झूलने और खरीदारी का आनंद भी उठाते हैं।

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ग्रामीणों ने मनाई थी राजा के संतान प्राप्त होने की खुशी

महादेव घाट स्थित प्राचीन हटकेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित सुरेश गिरी गोस्वामी के अनुसार 14वीं सदी में लगभग 600 साल पहले राजा ब्रह्मदेव का शासन था। राजा के संतान नहीं थी। राजा ने हटकेश्वरनाथ महादेव (PUNNI MELA) से संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगी। पुत्र प्राप्त होने पर राजा ने आसपास के अनेक गांवों के लोगों को आमंत्रित कर भोजन करवाया। हजारों की संख्या में ग्रामीण खारुन नदी के किनारे जुटे। राजा ने ग्रामीणों के ठहरने, भोजन करने और उनके मनोरंजन के लिए झूले, खेल-तमाशों का आयोजन किया। उस दिन कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि होने और नदी में पुण्य स्नान करने की मान्यता के चलते हजारों ग्रामीणों ने डुबकी लगाई। इसके बाद राजा हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर मेले का आयोजन करते रहे। कालांतर में पूर्णिमा का मेला पुन्नी मेला के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

मुख्यमंत्री लगाएंगे पुण्य की डुबकी

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पारंपरिक रीतिरिवाजों, छत्तीसगढ़ी संस्कृति को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई है। चार साल पहले 2019 में पुन्नी मेला पर ब्रह्म मुहूर्त में पुण्य (PUNNI MELA) की डुबकी वे पहुंचे थे। उनके साथ अनेक मंत्री, जनप्रतिनिधि, अधिकारियों ने भी डुबकी लगाई। उस साल कार्तिक पुन्नी मेला की खूब चर्चा रही। इसके बाद दो साल से कोरोना काल में सादगी से पुण्य की डुबकी लगाने की परंपरा निभाई गई। अब, इस साल फिर से पुन्नी मेले को भव्यता प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री भी पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचेंगें। ब्रह्म मुहूर्त से डुबकी लगाने का सिलसिला प्रारंभ होगा।

आठ नवंबर को पुन्नी मेला

आश्विन माह के अंतिम दिन शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक एक माह का स्नान करने की परंपरा निभाई जाती है। श्रद्धालु पिछले एक महीने से कार्तिक स्नान कर रहे हैं, इसका समापन आठ नवंबर को लगने वाले पुन्नी मेला पर पुण्य की डुबकी लगाने के साथ होगा। मेले का खास आकर्षण ग्रामीण इलाकों का प्रसिद्ध रईचुली झूला के साथ हवाई झूला, बच्चों का झूला रहेगा। साथ ही खारुन नदी की बीच धार में नौकायन का आनंद भी लिया जाएगा।