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बस्तर में “छत्तीसगढ़िया ओलंपिक” से मिला स्थानीय खेलों को मंच, महिलाएं भी लगा रही है ज़ोर

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जगदलपुर। हमारी संस्कृति हमारी जड़ों को मजबूत करने का काम करती है। जिनमें बोली, भाषा, रहन-सहन और पारंपरिक या स्थानीय खेल शामिल होते हैं। राज्य सरकार ने इन्हीं पारंपरिक खेलों को सहेजने के लिए “छत्तीसगढ़िया ओलंपिक” का शुभारंभ किया है।

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“छत्तीसगढ़िया ओलंपिक” यानी कि खेल का एक ऐसा आयोजन जिसमें स्थानीय खेलों को सहेजने पर महत्व दिया जा रहा है। राज्य सरकार की इस पहल की शुरूआत 6 अक्टूबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की। “बस्तर दशहरा” के अवसर पर अपने एक दिवसीय बस्तर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री ने गुल्ली डंडा खेलकर “छत्तीसगढ़िया ओलंपिक” में अपनी सहभागिता दी।

इस आयोजन के तहत राजीव युवा मितान क्लब स्तर पर मंगलवार को बकावंड ब्लाक के सरगीपाल और बोरीगांव में भी खेलकूद का आयोजन किया गया। अलग-अलग वर्ग में महिलाओं ने जहां पिट्ठुल, 100 मीटर दौड़ में अपनी भागीदारी निभाई, तो वहीं खो-खो, कबड्डी जैसे खेलों में युवाओं का उत्साह देखते बना।

सरगीपाल विद्यालय के खेल प्रभारी शिक्षक ने कहा कि “इन खेलों से स्थानीय खेलों को आने वाली पीढ़ियों के बीच जीवंत किया जाएगा। ग्रमीणों में इसे लेकर खासा उत्साह दिखाई दे रहा है।”

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 6 अक्टूबर को प्रदेश स्तर पर “छत्तीसगढ़िया ओलंपिक” का शुभारंभ किया गया। इसके अंतर्गत दलीय एवं एकल श्रेणी में 14 प्रकार के पारंपरिक खेलों की प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।

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जिसमें 18 वर्ष से कम, 18 से 40 वर्ष एवं 40 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं। इन खेलों में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल जैसे-गिल्ली डंडा, पिट्टूल, संखली, लंगड़ी दौड़,कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी, बाटी (कंचा), बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, 100 मीटर दौड़, लम्बी कूद इत्यादि शामिल हैं। प्रतियोगिता गांव से लेकर राज्य स्तर तक 6 स्तरों पर होगी।