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जेल में बैठकर 100 स्टूडेंट्स से 20 करोड़ की ठगी

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पटना। पटना के बेउर जेल में बैठकर जालसाजी (THAGI) का बड़ा नेटवर्क चल रहा है। जहां बच्चों को बेहतर भविष्य का सपना दिखाकर ठगी की जा रही है। अपराधी पटना में दफ्तर खोलकर शातिर बिहार के अन्य जिलों के साथ-साथ दूसरे राज्य के लोगों के साथ भी ठगी कर रहे हैं।

हाल के दिनों में आए मामलों में एसके पुरी थाना में दर्ज एफआईआर में एडमिशन के नाम पर जालसाजी की गई। करियर एडमिशन काउंसलिंग प्रा. लि. (सीएसी) नाम से बोरिंग रोड चौराहा स्थित जीवी मॉल में दफ्तर खोलकर जालसाजों ने बिहार, झारखंड के 100 से अधिक लोगों से 20 करोड़ से अधिक की ठगी की।

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जेल से ऑपरेट होता जालसाजों का गिरोह

मामले में कार्रवाई (THAGI) का आलम यह है कि पुलिस ने अब तक आरोपियों से पूछताछ तक नहीं की है। पूरे मामले का आश्चर्यजनक पहलू यह है कि यह गिरोह ऑफिस जेल में बंद सरगना उज्जवल उर्फ नीरज सिंह ऑपरेट कर रहा था। जब इसका खुलासा हुआ तो पुलिस ने उसे दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया, लेकिन कोई खास एक्शन नहीं ली।

फरवरी में शिकायत, अप्रैल में हुई एफआईआर

नीट 2021 की परीक्षा के बाद जालसाजों ने जीवी मॉल में सीएसी का दफ्तर खोल लिया था। रिजल्ट आते ही जालसाजी शुरू हो गई। जालसाजों ने पटना में बैठकर बिहार झारखंड के बच्चों और उनके अभिभावकों के साथ ठगी की। कई पीड़ितों ने बताया कि उन्हें फरवरी के शुरुआती हफ्ते में मेडिकल कॉलेज का ऑफर लेटर दिया गया। जब पता चला कि ऑफर लेटर फर्जी है तब पटना पहुंचे, जानकारी हुई कि सीएसी एक फर्जी संस्था थी। इसे चलाने वाले फरार हो चुके हैं।
अभिभावकों का कहना है कि हमलोग फरवरी से ही थाना का चक्कर लगाते रहे, लेकिन एफआईआर अप्रैल में दर्ज की गई। हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रभात भारद्वाज ने कहा कि एफआईआर देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस ने जालसाजों को लाभ पहुंचाने के लिए कुछ धाराओं का प्रयोग नहीं किया है।

मेडिकल कॉलेज के नाम पर लेता था ड्राफ्ट, इसलिए नहीं हुआ शक

कई पीड़ितों ने बताया कि जालसाजों ने हमलोगों को किसी कॉलेज में अप्लाई करने भी नहीं दिया। मैनेजमेंट और एनआरआई कोटा में एडमिशन दिला देने का झांसा दिया गया। साथ ही वे पैसे मेडिकल कॉलेज के नाम से बने ड्राफ्ट के माध्यम से ले रहे थे। इस कारण उनपर शक नहीं हुआ। मामले में उज्जवल सिंह डायरेक्टर, शुभम ब्रांच हेड, अरनव सिंह ब्रांच हेड, कुंदन कुमार काउंसलर, हीरालाल उर्फ प्रिंस, खुशबू हेड काउंसलर, रिया रंजन काउंसलर पर एफआईआर हुआ है। खुशबू और रिया रंजन की बातचीत जेल में बंद उज्जवल से वाट्सएप पर होती थी। यही दोनों अभिभावकों को फोन कर बुलाते थे। शुभम उज्जवल का राजदार है।

500 तक अंक लाने वाले छात्रों को बनाया निशाना

पूरे मामले का दुखद पहलू यह है कि शातिरों के जाल में फंसे 100 बच्चे नीट यूजी की परीक्षा में उत्तीर्ण थे। इन्हें 300 से 500 के बीच मार्क्स आया था। इन बच्चों (THAGI) को प्राइवेट मेडिकल कॉलेज या फिर एमबीबीएस की जगह बीडीएस, बीएएमएस या बीएचएमएस मिल रहा था। जालसाजों ने इन बच्चों का नाम, पता और मोबाइल नंबर जुगाड़ लिया और इनके अभिभावकों को अच्छे मेडिकल कॉलेज या फिर एमबीबीएस में दाखिला दिला देने का झांसा देकर एक एक अभिभावक से 15 से 20 लाख तक की उगाही की। मेडिकल कॉलेजों का फर्जी लेटर थमाया और फरार हो गए। इधर, पटना पुलिस कार्रवाई के नाम पर अब तक आरोपियों से पूछताछ तक नहीं कर सकी है। मामला दर्ज होने के इतने दिनों बाद भी पुलिस जालसाजों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य तक जुटा नहीं पाई है।