spot_img

Gandhi Jayanti Special : गांधीजी ने बचपन में चुराए थे नौकर के पैसे, टीचर ने मारा था बूट से

HomeNATIONALGandhi Jayanti Special : गांधीजी ने बचपन में चुराए थे नौकर के...

दिल्ली। महात्मा गांधी (Gandhi Jayanti Special) ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आंदोलन कर उनकी चूलें जरूर हिला दी थी। लेकिन आपको यह बिलकुल नहीं पता होगा कि गांधी को बचपन में बेहद डरपोक और बुद्धू माना जाता था। ऐसा हम नहीं कह रहे, यह उनके बचपन की कहानियों और नजदीकी लोगों की बातों से प्रतीत होता है। तो चलिए आज सुनाते हैं गांधी के बचपन का एक रोचक किस्सा।

बीड़ी के लिए नौकर के पैसे चुराए

गांधी ने अपनी आत्मकथा में भी अपनी बुरी आदतों का जिक्र किया है। बचपन में गांधीजी (Gandhi Jayanti Special) को एक रिश्तेदार के साथ बीड़ी पीने की लत लग गई थी। अब बालक मोहनदास बीड़ी कैसे पीये। तो काकाजी जो बीड़ी पीकर फेंकते थे, गांधी उसे चुपचाप उठाकर रख लेते। जैसे ही उन्हें एकांत मिलता, मौका पाते ही उसे रिश्तेदार के साथ पीने लगते। लेकिन जब जली बीड़ी नहीं मिलती तब गांधी अपने घरेलू नौकर की जेब से पैसे चुराते थे और उससे बीड़ी खरीदकर पीते थे।

भैयाजी ये भी देखे : छत्तीसगढ़ आएंगी केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण, वैक्सीनेशन सेंटर का करेंगी निरक्षण

बीड़ी जैसा संतोष नहीं मिला

लेकिन ये सब बालक मोहनदास (Gandhi Jayanti Special)के लिए इतना आसान नहीं था। कभी-कभी खरीदी गई बीड़ी को छुपाना उनके लिए मुश्किल भरा हो जाता था। तब उनके दोस्त ने सलाह दी कि लौकी की सूखी टहनी का टुकड़ा जलाकर पीने से भी बीड़ी जैसा ही आनंद आता है। गांधी ने लौकी की टहनी वाला प्रयोग भी किया। मगर उन्हें बीड़ी जैसा संतोष प्राप्त नहीं हुआ।

बचपन में शर्मीले और शांत थे गांधी

मोहनदास करमचंद गांधी के बारे में कहा जाता है कि जब वो सात साल के थे, तब वह पिताजी के साथ पोरबंदर से राजकोट आ गए थे। उनका दाखिला राजकोट की ग्रामशाला में करवाया गया। गांधी पढ़ाई में औसत थे। यहीं से उन्होंने हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की। गांधी (Gandhi Jayanti Special) को स्कूल में किसी से बात करना पसंद नहीं था। इसलिए जैसे ही स्कूल की घंटी बजती, वह क्लास में प्रवेश करते और जैसे ही छुट्टी की घंटी बजती, सबसे पहले वही क्लास रूम से बाहर निकलते थे और सीधे घर पहुंच जाते। इसीलिए गांधी का कोई मित्र नहीं था। कहते हैं कि दोस्त नहीं बनाने के पीछे मुख्य वजह यही थी कि उन्हें लगता था कि कोई उनका मजाक उड़ायेगा। जो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा।