रायपुर। गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया था। इस बैठक में छत्तीसगढ़ के सियाम भूपेश बघेल शामिल नहीं हुए। सीएम के शामिल न होने पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुनील सोनी (SUNIL SONI) ने सवाल उठाया है। सांसद सुनील सोनी ने कहा, कि इस बैठक में नक्सली उन्मूलन की दृष्टि से रणनीतिक उपायों व सुझावों पर महत्वपूर्ण चर्चा के समय मुख्यमंत्री बघेल का बैठक में शामिल नहीं होना हैरतभरा है।
सांसद सोनी (SUNIL SONI) ने कहा, एक तरफ चिठ्ठियां लिख-लिखकर नक्सली समस्या को लेकर मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के सामने रोना रोते हैं और जब आमने-सामने की चर्चा का अवसर आया तो मुख्यमंत्री बघेल बैठक में शामिल ही नहीं हुए है। सांसद सोनी ने कहा, कहीं सत्ता-संघर्ष से जूझते मुख्यमंत्री बघेल ने खुद को ‘संविदा मुख्यमंत्री’ मानकर तो इस निर्णायक बैठक से किनारा नहीं कर लिया।
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रणनीति के तहत काम करने की आवश्यकता
सांसद सोनी ने कहा कि नक्सली समस्या के समूल उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार और नक्सल प्रभावित प्रदेशों की सरकारों से एक समन्वित रणनीति के तहत काम करने की आवश्यकता अनुभव की जाती रही है ताकि एक प्रदेश में खून की नदियां बहाने और विनाशकारी गतिविधियों को अंजाम देने के बाद नक्सली दूसरे प्रदेश में जाकर छिप न सकें। छत्तीसगढ़ की सीमाएं नक्सल प्रभावित महाराष्ट्र, तेलंगाना, झारखंड और ओड़िशा प्रदेशों से जुड़ी होने के कारण नक्सली इसका बेजा फायदा उठाते हैं।
नक्सलियों को दिया अभयदान
सांसद सोनी (SUNIL SONI) ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री बघेल ने केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा आहूत बैठक में शामिल न होकर कहीं नक्सलियों को छत्तीसगढ़ में अभयदान का संदेश तो देने की कोशिश नहीं की है। क्या मुख्यमंत्री ने इस संदेह की पुष्टि नहीं की है कि नक्सलियों से यह प्रदेश सरकार अपना दोस्ताना निभा रही है? प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के सत्ता में आने के बाद से नक्सली वारदातों में एकाएक इजाफा हुआ है और नक्सलियों के खूनी खेल में जवानों, बस्तर के जनप्रतिनिधियों, भोले-भाले आदिवासियों को अपने प्रण गंवाने पड़े हैं।