नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल बैंकिंग में एक बड़ा बदलाव किया है। रिजर्व बैंक ने भुगतान प्रणाली प्रदाताओं, प्रीपेड कार्ड जारी कर्ताओं, कार्ड नेटवर्क्स और व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटरों को अपने केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली (सीपीएस) सिस्टम में जुड़ने की अनुमति दे दी है।
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गैर-बैंकों को एक ही मंच पर लाने की योजना का यह पहला चरण होगा। इसके तहत अब रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट(RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) भी आसानी से किया जा सकेगा। इस संबंध में आरबीआई ने अप्रैल महीने में ये कहा था कि “वह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संचालित केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली (सीपीएस) – आरटीजीएस और एनईएफटी सिस्टम में चरणबद्ध तरीके से गैर-बैंकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा।”
Access for Non-banks to Centralised Payment Systemshttps://t.co/gyOznjQzPa
— ReserveBankOfIndia (@RBI) July 28, 2021
गैर-बैंकों के लिए सीपीएस तक सीधी पहुंच पेमेंट इकोसिस्टम में जोखिम को कम करती है। इससे गैर-बैंकों को भी लाभ मिलेगा, जैसे भुगतान की लागत में कमी, बैंकों पर निर्भरता को कम करना, भुगतान पूरा करने में लगने वाले समय को कम करना, भुगतान की अनिश्चितता को समाप्त करना शामिल है।
इससे गैर-बैंक संस्थाओं द्वारा सीधे लेनदेन शुरू और फंड ट्रांसफर के निष्पादन में विफलता या देरी के जोखिम से भी बचा जा सकता है।
RBI ने ज़ारी किया सर्कुलर
RBI द्वारा ज़ारी सर्कुलर के मुताबिक “मौजूदा व्यवस्थाओं की समीक्षा पर और भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (पीएसपी) के साथ विस्तृत चर्चा के बाद, यह सलाह दी जाती है कि, पहले चरण में, अधिकृत गैर-बैंक पीएसपी,
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जैसे पीपीआई जारीकर्ता, कार्ड नेटवर्क और व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर सीपीएस में प्रत्यक्ष सदस्यों के रूप में भाग लेने के लिए पात्र होंगे।”