रायपुर। प्रदेश की राजधानी के कोटा इलाके में स्थित टीचर्स कॉलोनी यदि जमीन की खरीदी करने की आप सोच रहे है, तो पहले दस्तावेजों की अच्छी तरह से जांच करा ले। क्योंकि इस इलाके में नक्शे में हेराफेरी करके सरकारी जमीन को बेचने वाला गिरोह (Land mafia) सक्रिय है। आरोपियों ने कई लोगों को फर्जी दस्तावेजों के सहारे जमीन बेची है। जांच दल की टीम रिपोर्ट में इसका पर्दाफाश हुआ है। यहां खसरा नंबर 150/3 की जमीन को पटवारी के नक्शे में सरकारी जमीन बताया गया है, पर इसी सरकारी जमीन के लिए नगर निगम की ओर से जारी ले-आउट में सरकारी जमीन का जिक्र तक नहीं किया गया है।
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माफियाओं ने खेल को दिया अंजाम
विभागीय अधिकारियों की मानें तो जमीन दलाल, बिल्डर, निगम, राजस्व अधिकारी और भू-माफियाओं (Land mafia) ने जमीन के इस खेल को मिलकर अंजाम दिया है। सरकारी जमीन को अपना बताकर आरोपियों ने कई लोगों को प्लाट बेचा हे। 28 से ज्यादा लोग इन प्लाटों में मकान भी बना चुके है। वहीं प्रशासन ने इसी जमीन से लगे खसरा नंबर 116/3 की जांच अभी तक नहीं की है।
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बड़े लोगों पर कार्रवाई नहीं
टीचर्स कॉलोनी (Land mafia) में प्लाट लेकर फंस चुके पीडि़तों ने विभागीय अधिकारियों पर रसूखदारों को बचाने का आरोप लगाया है। पीडि़तों का कहना है, कि विभागीय अधिकारी मौके में जाकर गरीबों को चमका रहे है, लेकिन रसूखदारों के खिलाफ जांच नहीं कर रहे है। खसरा नंबर 150/3 में करीब ढाई से तीन एकड़ सरकारी जमीन है। इसमें 60 फीट का रास्ता है, जबकि खसरा नंबर 116/3 में करीब साढ़े आठ एकड़ की सरकारी जमीन है। इसमें भवानी नगर बसाकर बिल्डरों व भू-माफियाओं ने जमीन बेच दी है।
मामलें में तहसीलदार अमित बेग का कहना है, कि कोटा की सरकारी जमीन की जांच की गई है। भू-अभिलेख अधीक्षक की अध्यक्षता में जांच के बाद पता चला है कि 28 लोगों का कब्जा है। भू-राजस्व संहिता के तहत कार्रवाई के लिए प्रक्रिया की जा रही है। वहीं जोन कमिश्नर अरूण धु्रव का कहना है, कि नगर निगम का काम जांच करना नहीं है। राजस्व विभाग इसकी जांच करता है। जिस खसरे की जांच हुई है उसमें भी राजस्व विभाग कार्रवाई करेगा।