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मां अंगारमोती मंदिर में ज़मीन पर लेटने से होती है पुत्र प्राप्ति, जाने मान्यता

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रायपुर। राज्य के धमतरी जिले से ठीक 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मां अंगारमोती का मंदिर। जहां दीवाली के बाद आने वाले पहले शुक्रवार को मड़ई यानि की मेले का आयोजन होता है।

   ख़ास बात यह है कि इस मेले में बैगा की टोली (Baiga Group) साल में एक बार आती है। ऐसा माना जाता है कि जिन महिलाओं को संतान की समस्या है या जिनको संतान प्राप्ति नहीं हो रही है। उन्हें इस मड़ई में समाधान मिल जाता है।
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निःसंतान महिलाएं जमीन पर लेट जाती हैं

      दरअसल लोगों का ऐसा मनाना है कि निःसंतान महिलाएं जमीन पर लेट जाती हैं और बैगा की टोली (Baiga Group)उनके ऊपर से चलती है, जिससे उन्हें संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त हो जाता है। निसंतान महिलाएं खासतौर पर इस दिन मंदिर पहुंचती हैं। ध्वज और मडई लेकर जाते बैगाओं के सामने पेट के बल लेटकर महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए कामना करती हैं।
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मां अंगारमोती मंदिर में 52 गांव का था वजूद

        गौरतलब है कि साल 1973 में गंगरेल बांध बनने के पहले इस क्षेत्र में 52 गांव का वजूद था। महानदी, डोड़की नदी तथा सूखी नदी के संगम पर ही तीन गांव चंवर, बटरेल तथा कोरलम स्थित थे। पूर्व में इन गांवों के टापू पर स्थित मां अंगारमोती की मूर्ति को बांध बनने के बाद बांध किनारे ही स्थापित कर दिया गया। अभी भी 52 गांव के ग्रामीण शुभ कार्य की शुरूआत के लिए मां अंगारमोती के दरबार पहुंचते हैं। क्वार और चैत्र नवरात्र में हजारों श्रद्धालु यहां मनोकामना ज्योत प्रज्जवलित करते हैं।

Baiga Group करता है समाधान

     वहीं माता के दर्शन करने और मड़ई में बैगा की टोली (Baiga Group) द्वारा अपनी समस्या का समाधान करवाने काफी दूर दराज़ से लोग आते हैं। साथ ही लोगों की उत्सुकता भी देखते बनते ही। इस साल बीते शुक्रवार मड़ई का आयोजन हुआ जहां 11 बैगा ने शिरकत करी। जबकि 200 से भी जायद निसंतान महिलाएं पेट के बल पर लेट गयी।

     अब इस बात पर कितनी सच्चाई है ये सिर्फ अन्धविश्वास है। इस बात की पुष्टि हम नहीं करते। है लेकिन लोगों की आस्था ही है ये की मातारानी के दर्शन मात्र से उनकी समस्या दूर हो जाती है।