रायपुर। छत्तीसगढ़ में दीपावली (Deepawali) की सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने निवास पर धान का झालर बांधने की रस्म पूरी की। बस्तर से लेकर सरगुजा तक इस तरह के झालर आंगनों और द्वारों पर लटकाए जाने की परंपरा है, जिसे पहटा अथवा पिंजरा भी कहा जाता है।
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दीपावली(Deepawali) के दौरान खेतों में जब नयी फसल पककर तैयार हो जाती है, तब ग्रामीण धान की नर्म बालियों से इस तरह के कलात्मक झालर तैयार करतें हैं।
दीपावली आ गयी है, मैंने अपने निवास पर धान का झालर बांधने की रस्म पूरी कर ली है।
यदि आपने भी झालर बांध ली हो, तो आप भी अपनी तस्वीर साझा करें📷#खुशियों_की_दीपावली pic.twitter.com/qhS1oKRM6k
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) November 13, 2020
इनसे घरों की सजावट कर वे अपने सुख और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्हें पूजन के लिए आमंत्रित करते हैं।
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ऐसा लोक विश्वास है कि उनका यह आमंत्रण उन चिडियों के माध्यम से देवी तक पहुंचता है, जो धान के दाने चुगने आंगन और द्वार पर उतरती हैं। दीपावली(Deepawali) इस तरह प्रदेश की लोक-संस्कृति अपनी खुशियों को प्रकृति के साथ बांटती है और उसे सहेजती है।