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छत्तीसगढ़ में जुटेंगे विहिप के राष्ट्रीय पदाधिकारी, मतांतरण और हिंदुत्व के मुद्दों पर होगी चर्चा

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में विश्व हिंदू परिषद (VIHIP ) की केंद्रीय प्रबंध समिति की चार दिवसीय बैठक 23 से 26 जून तक आयोजित की जाएगी। रायपुर के माहेश्वरी भवन में विहिप के 400 पदाधिकारी शामिल होंगे। इसमें मतांतरण समेत हिंदुत्व के तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी।

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हिंदुत्व को आगे बढ़ाने और उसकी रक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाएं, मठ, मंदिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कैसे किया जा सकता है ? इन तमाम प्रश्नों पर चर्चा होगी। इसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह और विहिप के पालक अधिकारी भैयाजी जोशी, विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रविंद्र नारायण सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, महामंत्री मिलिंद परांडे, संगठन महामंत्री विनायक देशपांडे, राम मंदिर निर्माण समिति के महामंत्री चंपत राय समेत राष्ट्रीय पदाधिकारी और 44 संगठन राज्यों के अध्यक्ष, संगठन महामंत्री और महामंत्री शामिल होंगे।

छत्तीसगढ़ में बैठक के निकाले जा रहे कई मायने

राज्य में जशपुर और बस्तर में आदिवासियों के मतांतरण (VIHIP ) का मुद्दा पहले से ही गरमाया हुआ है। कवर्धा, बिरनपुर की घटना हो या फिर नारायणपुर में कथित रूप से मतांतरित लोगों द्वारा आदिवासियों के साथ मारपीट की घटना, इन तमाम मुद्दों पर विहिप चिंतित है। विशेषकर मतांतरण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए गांव-गांव तक समिति बनाकर अलख जगाई जा रही है। ऐसे में विहिप के राष्ट्रीय स्तर की बैठक के कई मायने निकाले जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो राज्य निर्माण के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ में विहिप के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की चार दिन तक बड़ी बैठक हो रही है। छत्तीसगढ़ में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में हिंदुत्व के लिए काम कर रहे इस संगठन की प्रदेश में बैठक को अहम माना जा रहा है।

मंथन से निकलेगा संतों की यात्रा का निष्कर्ष

सूत्रों की मानें बैठक में विगत फरवरी से मार्च 2023 (VIHIP ) तक निकाली गई संतों की पदयात्रा को लेकर पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सकती है। संतों ने यहां पर चारों दिशाओं से माता के दरबार से हिंदू राष्ट्र को लेकर 45 सौ किलोमीटर की पदयात्रा की थी। इसके बाद रायपुर में हुई धर्मसभा में हिंदू राष्ट्र निर्माण को लेकर देश भर के संतों के विचार सामने आए थे। इसी के साथ देशभर के संतों ने छत्तीसगढ़ के संतों की पदयात्रा की तरह देशभर में पदयात्रा करने की वकालत की थी। संतों की पदयात्रा के बाद जो भी निष्कर्ष मिले हैं उन पर आगे के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत निकाला जा सकता है।