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महाकाल भस्म आरती के नाम पर ठगी करने वाले सात लोग गिरफ्तार

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उज्जैन। भस्म आरती (BHASM AARTI) के नाम पर दिल्ली के तीन श्रद्धालुओं के साथ धोखाधड़ी करने वारे रैकेट का मंगलवार को पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया। श्रद्धालुओं से भस्म आरती में प्रवेश की अनुमति देने के नाम पर 4500 रुपये लिए गए थे।

मीडिया के नाम पर बनी अनुमति में नाम-पते एडिट कर दिए थे। दर्शनार्थी रविवार तड़के महाकाल मंदिर पहुंचे तो जांच के दौरान अनुमति फर्जी मिली। पुलिस ने पुजारी, कर्मचारी व अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि नितिन भारद्वाज, मोहित अरोरा, दिशांत गेरा सभी निवासी उत्तम नगर नई दिल्ली शनिवार को उज्जैन आए थे। यहां नृसिंह घाट पर कालसर्प दोष का पूजन करवाया था। वहां पवनकुमार नामक व्यक्ति ने भस्म आरती के लिए मृत्युंजय का मोबाइल नंबर दिया था।

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मृत्युंजय ने तीनों से 1500-1500 रुपये कुल 4500 रुपये ले लिए और अनुमति जारी (BHASM AARTI)  करवा दी थी। रविवार तड़के जब श्रद्धालु भस्म आरती में प्रवेश के लिए पहुंचे तो वहां कर्मचारी ने बार कोड स्कैन किया तो वह फर्जी निकला। पूछताछ में श्रद्धालुओं ने घटनाक्रम की जानकारी दी। इसके बाद मंदिर प्रशासक को भी शिकायत की गई। पुलिस ने देर शाम मंदिर समिति के कर्मचारी प्रेमनारायण की शिकायत पर पवन कुमार व मृत्युंजय के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 420 व 34 के तहत केस दर्ज करवाया था। पुलिस ने मामले में पवन कुमार, मृत्युंजय, अंकित, मंदिर के कर्मचारी विपिन मकवाना, शेखर तिवारी, गौरव शर्मा, विशाल शर्मा को गिरफ्तार कर छह मोबाइल व लैपटाप बरामद किया है। जांच में अन्य लोगों के भी नाम सामने आएंगे।

मानसरोवर की जगह चार नंबर गेट पर पहुंचने से खुला मामला

मंदिर समिति द्वारा जारी भस्म आरती (BHASM AARTI) अनुमति में बारकोड भी दिया जाता है। जिसे मंदिर के कर्मचारी भस्म आरती प्रवेश के दौरान स्कैन करते हैं। रविवार सुबह चार नंबर गेट पर खड़े कर्मचारी ने बारकोड स्कैन किया तो वह स्कैन नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि वह मीडिया के नाम पर जारी अनुमति का बारकोड है जो एक्सपायर हो चुका था। जिसे धोखाधड़ी करने वाले ने कम्प्यूटर की मदद से केवल नाम-पते बदलकर श्रद्धालुओं को दे दिए थे। पूछताछ में पता चला कि मंदिर कर्मचारी विपिन मकवाना मानसरोवर गेट पर खड़ा था। जहां से श्रद्धालुओं को प्रवेश करने को कहा गया था। मगर श्रद्धालु चार नंबर गेट पर चले गए थे। जहां खड़े राजेश नामक कर्मचारी ने बारकोड स्कैन कर लिया था। जिससे पूरा मामला खुल गया।