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शराबबंदी पर लखमा का जवाब, समिति की रिपोर्ट के आधार पर होगा निर्णय

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रायपुर। विधानसभा के बजट सत्र में गुरुवार को एक लिखित सवाल के जवाब में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बताया कि 2019-20 से 2022-23 (28 फरवरी) तक तीन देसी और 27 प्रीमियम शराब दुकानें खोली गई हैं। मंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के लिए गठित समितियों की समय अवधि तय नहीं है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर यथेष्ठ निर्णय लिया जाएगा।

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विधायक अजय चंद्राकर ने अपने लिखित प्रश्न में 2019-20 से 2022-23 तक संचालित देसी, विदेशी व प्रीमियम शॉप की संख्या, नई दुकानों की संख्या, शराब की खपत और राजस्व की जानकारी मांगी थी। आबकारी मंत्री ने बताया कि इस दौरान तीन देसी दुकानें, एक अंग्रेजी दुकान और 27 प्रीमियम शराब दुकानें खोली गईं। 2019-20 में 36 देसी, 14 अंग्रेजी और एक प्रीमियम दुकान बंद की गई. 2020-21 में एक भी दुकान बंद नहीं की गई। 2021-22 में एक देसी दुकान बंद की गई। वहीं, 2022-23 में एक भी दुकान बंद नहीं की गई है।

आबकारी मंत्री ने बताया कि 2019-20 में शराब से 4952.79 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ। इस दौरान 3335.60 देसी और 3126.68 करोड़ की अंग्रेजी शराब की बिक्री हुई। 2020-21 में 4636.90 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। इस दौरान 2888.78 करोड़ देसी और 3007.21 करोड़ अंग्रेजी शराब बिकी। 2021-22 में 5110.15 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ। इस दौरान 2795.97 करोड़ देसी और 3496.42 करोड़ अंग्रेजी शराब बिकी। इसी तरह चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में (28 फरवरी तक) 6135.56 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ है। इस दौरान 3662.74 करोड़ की देसी और 4277.30 करोड़ की अंग्रेजी शराब बिकी है।

चंद्राकर ने अपने लिखित सवाल में पूछा कि शराबबंदी समिति का गठन कब और कितनी समयावधि के लिए किया गया है? कितनी बार इसकी अवधि में वृद्धि की गई है? 31 जनवरी 2023 तक कितनी बैठकें व अन्य राज्यों का दौरा किया गया? इससे क्या निष्कर्ष-परिणाम प्राप्त हुए हैं। शराबबंदी कब तक कर दी जाएगी ?

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इसके लिखित जवाब में मंत्री ने बताया कि मंत्रि परिषद के आदेश दिनांक एक जनवरी 2019 के अनुपालन में शराबबंदी समितियों का गठन किया गया है। उक्त समितियों की समयावधि निश्चित नहीं है। 31 जनवरी 2023 तक उक्त समितियों की कुल 6 बैठकें संपन्न हुई है। उक्त अवधि में राजनैतिक समिति द्वारा गुजरात राज्य का अध्ययन भ्रमण किया गया है। समितियों द्वारा अन्य शेष राज्यों की आबकारी नीति का समग्र रूप से अध्ययन उपरांत राज्य शासन को अपनी रिपोर्ट-अनुशंसा प्रस्तुत की जाएगी। तद्नुसार शराबबंदी के संबंध में राज्य शासन द्वारा यथेष्ठ निर्णय लिया जा सकेगा।