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कोरोना काल का स्कूली शिक्षा पर प्रतिकूल असर, पढ़ना-लिखना भूल गए कई विद्यार्थी

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रांची। कोरोना (CORONA) के बाद झारखंड के स्कूल खराब बुनियादी ढांचे, शिक्षकों की कमी और अपर्याप्त फंडिंग से जूझ रहे हैं। हाल ही में 138 प्राथमिक व उच्च-प्राथमिक स्कूलों पर किए सर्वेक्षण में पता चला कि ज्यादातर विद्यार्थी फरवरी 2022 में स्कूल फिर खुलने तक पढ़ना-लिखना भूल गए थे।

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सर्वेक्षण ज्ञान-विज्ञान समिति झारखंड व एक सामाजिक संगठन ने किया। सर्वेक्षण के मुताबिक 53% प्राथमिक विद्यालयों और 19% उच्च-प्राथमिक स्कूलों में विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात 30 से कम था। सर्वेक्षण सरकारी प्राथमिक व उच्च-प्राथमिक स्कूलों पर केंद्रित था, जहां कम से कम 50% नामांकित बच्चे एससी या एसटी परिवारों से आते हैं। सर्वेक्षण के (CORONA)  दौरान (सितंबर-अक्टूबर 2022) प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति 68% और उच्च-प्राथमिक विद्यालयों में 58% थी। एक भी स्कूल में शौचालय, बिजली और पानी की आपूर्ति नहीं थी। यह रिपोर्ट शोधकर्ता परान अमिताभ और भारत के प्रमुख अर्थशास्त्री ज्यां ट्रेज ने तैयार की है।

20% स्कूलों में एक ही शिक्षक

सैंपल में (CORONA)  शामिल 138 स्कूलों में से 20% में एक ही शिक्षक था। इन एकल-शिक्षक स्कूलों में 90% दलित या आदिवासी बच्चे हैं। करीब 40% प्राथमिक विद्यालय पूरी तरह परा-शिक्षक चला रहे हैं।