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राइस मिलर्स का 1500 करोड़ बक़ाया, लगाई गुहार…पैसा तो दे दो सरकार

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के राइस मिलर्स ने प्रदेश सरकार से कस्टम मिलिंग के भुगतान की गुहार लगाई है। मिलर्स ने अपने बक़ाया भुगतान के लिए मांग की है। मिलर्स ने इसके लिए पूर्व में खाद्यमंत्री अमरजीत भगत से भी मुलाकात कर गुहार लगाई थी, लेकिन अब तक पेंडिंग भुगतान नहीं हो पाया है।

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प्रदेश के मिलरों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार से कस्टम मिलिंग का ही तक़रीबन 1 हज़ार 500 करोड़ रुपए बाकी है। इसमें साल 2019-20 और 2020-21 की कुछ राशि शेष है। वहीं साल 2021-22 की कस्टम मिलिंग का 90 फीसदी प्रतिशत भुगतान नहीं हुआ है।

मिलिंग के आलावा मिलर्स को सरकार ने उपार्जन केंद्रों से धान लाने और चांवल के परिवहन की राशि का भी भुगतान नहीं किया है। भुगतान नहीं होने से छोटे मिल मालिकों की माली हालत भी बेहद खराब हो गई है। जिसकी वज़ह से उन्हें मिल के संचालन में भी कई तरह ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

2021-22 में हुई थी 97 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी

छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2021-22 में किसानों से समर्थन मूल्य पर 97 लाख 97 हजार 122 मीट्रिक टन धान की खरीदी की थी। राज्य में साल 2020-21 में 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। साल 2021-22 में 21,77,283 किसानों ने समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचा था, जो बीते वर्ष धान बेचने वाले 20,53,600 किसानों की संख्या से 1,23,683 अधिक थी।

धान खरीदी

इस साल 110 लाख मीट्रिक धान खरीदी का है लक्ष्य

जानकारी के मुताबिक खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में प्रदेश के पंजीकृत किसानों से लगभग 110 लाख मीट्रिक धान की खरीदी का लक्ष्य रखा गया है।

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समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए राज्य में इस साल 25.72 लाख किसानों का एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीयन किया है। जिसमें लगभग 61 हजार नये किसान है। राज्य में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए 2497 उपार्जन केन्द्र बनाए गए है, जहां खरीदी का काम किया जा रहा है।