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अधिकारियों और भ्रष्टाचार ने लटकाया बस्तर-रायपुर रेल का काम, सुप्रीम कोर्ट में है गड़बड़ी का मामला

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जगदलपुर। बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड (JAGDALPUR NEWS) द्वारा हाथ खींच लेने से केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जगदलपुर-रावघाट रेललाइन परियोजना का काम लटक गया है। इसके पूछे मुख्य कारण भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजा निर्धारण में अनियमितता, भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी रहा है। बीआरपीएल ने रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर परियोजना का काम अपने हाथ में लेने का अनुरोध इन्हीं विवादों के चलते हुए किया है। इस परियोजना के पूरा हो जाने से बस्तर-रायपुर रेलमार्ग से जुड़ जाएगा, जिसकी मांग आजादी के बाद से हो रही है।

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रावघाट-जगदलपुर रेललाइन परियोेजना (JAGDALPUR NEWS)  के लिए बस्तर जिले में जगदलपुर व बस्तर तहसील को मिलाकर 530 भू-स्वामियों की 149.314 हेक्टेयर और कोंडागांव जिले में 319 भू-स्वामियों की 63.24 हेक्टेयर निजी जमीन का अधिग्रहण किया गया है। रावघाट-जगदलपुर रेललाइन 140 किलोमीटर में पहले चरण में जगदलपुर से कोंडागांव तक 70 किलोमीटर का काम प्रस्तावित किया गया है। इसमें ग्राम पल्ली में जमीन अधिग्रहण का विवाद पूरी परियोजना पर भारी पड़ गया है।

ज्यादातर जिम्मेदार सेवानिवृत्त या स्थानांतरित

पांच साल पहले हुए इस पूरे कारनामे में जिन की संलिप्तता जांच में उजागर हुई है, उनमें एक-दो छोटे कर्मचारियों को छोड़ दिया जाए तो प्राय: अन्य सभी अधिकारी सेवानिवृत्त अथवा बस्तर से बाहर स्थानांतरित हो चुके हैं। इस दौरान (JAGDALPUR NEWS) दो कलेक्टर भी बदल गए और राजस्व विभाग का अमला भी बदल चुका है। मामले में कलेक्टर बस्तर चंदन कुमार ने कहा, जमीन व परिसंपत्तियों के अधिग्रहण के लिए मुआवजा निर्धारण में जगदलपुर तहसील के ग्राम पल्ली में शिकायत सामने आने पर जांच कराई गई थी। मामला सर्वोच्च न्यायालय में है। जिला प्रशासन ने हाल ही न्यायालय में जवाबदावा प्रस्तुत किया है। कलेक्टर कोंडागांव दीपक सोनी ने कहा, कोंडागांव जिले में रेललाइन परियोेजना के लिए जमीन अधिग्रहण में किसी तरह की अनियमितता की शिकायत नहीं है।