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सिम्स में दो करोड़ के ऑक्सीजन प्लांट का प्रेशर कम

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बिलासपुर। सिम्स में दो करोड़ की लागत से बना ऑक्सीजन प्लांट मरीजों (BILASPUR NEWS) के वेंटीलेटर तक ऑक्सीजन पहुंचाने में नाकाम है।

केंद्र सरकार के डीआरडीओ ने कोरोना की दूसरी लहर में इसे तैयार किया है, जिसकी उपयोगिता मरीजों तक और अस्पताल के भीतर नहीं पहुंच पाई है। ऐसे में सिम्स प्रबंधन पहले की तरह ही बाहर की एजेंसियों से ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीदी कर जरूरतमंद मरीजों को उपलब्ध करवा रहा। सवाल ये है कि आखिर इसे क्यों बनाया गया है? सिम्स में हवा से ऑक्सीजन बनाने वाला एक और प्लांट सालभर से तैयार खड़ा है। इसका ट्रायल भी कर लिया गया है। लेकिन सालभर में यह मरीजों के लिए उपयोगी साबित नहीं हो पाया है।

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इसके लिए एक लिक्विड टैंक की और जरूरत बताई जा रही है जो अभी तक अस्पताल को नहीं मिल पाई है। यही कारण है कि इसका प्रेशर यानी पीएसआई 60 की बजाय 30-40 पर अटका हुआ है। सिम्स के अधिकारियों के मुताबिक इसकी क्षमता एक हजार प्रति लीटर ऑक्सीजन बनाने की है और ऑक्सीजन तैयार भी हो रहा है। लेकिन मरीजों के वेंटीलेटर के लिए सिलेंडर वाले ऑक्सीजन मंगाए जा रहे हैं।

सिम्स बाहर से इसकी खरीदी कर रहा है। मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. नीरज शेंडे (BILASPUR NEWS) का कहना है कि उनके परिसर में एक सीजीएमएससी और दूसरा डीआरडीओ का ऑक्सीजन प्लांट बना है जो काम कर रहा है, लेकिन यह कभी भी बंद हो सकता है। इसी आशंका के चलते ही बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदी हो रही है। बैकअप के तौर पर सिलेंडर रख रहे ताकि आपातकाल में मरीजों के काम आ सके।

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हर रोज 225 सिलेंडर ऑक्सीजन बनने के दावे पर तैयार हुआ था प्लांट

सिम्स में लिक्विड प्लांट अत्याधुनिक ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट है। इस प्लांट से रोज एक हजार एलपीएम यानी 225 सिलेंडर ऑक्सीजन बनने का दावा किया गया है। इससे पहले जो प्लांट सिम्स में चल रहा है, उसकी क्षमता 175 सिलेंडर रोज की थी। दो प्लांट के बन जाने के बाद मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने की बात कही गई थी। कोरोना के दौर जब लोगों को ऑक्सीजन की किल्लत में हुई उसी वक्त यहां इसकी मंजूरी मिली। फिर भी अभी तक यह बेहतर काम नहीं कर रहा।

बाहर से खरीदी से शुद्धता पर सवाल

हवा से बनने वाले ऑक्सीजन को 95 फीसदी शुद्ध (BILASPUR NEWS) माना जाता है। प्लांट के संचालन के लिए तकनीकी स्टाफ ने काम किया है। प्लांट के शुरू होने के बाद अस्पताल में ऑक्सीजन के लिए कोई परेशानी नहीं रहने की बात कही गई, फिर भी अस्पताल प्रबंधन बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीदी कर रहा है। जिले के ड्रग इंस्पेक्टरों को उन सिलेंडर वाले ऑक्सीजन की जांच करने के निर्देश है, लेकिन उसका भी पालन कम ही हो रहा है। बाहर के ऑक्सीजन से इसकी शुद्धता भी कटघरे में है।