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आज़ादी के लिए आदिवासी नायकों के योगदान पर NIT में चर्चा, छात्रों ने सुने रोचक क़िस्से

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रायपुर। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के सहयोग से संस्थान के विश्वेश्वर्या हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) भारत के संविधान के अनुच्छेद 338A के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है। यह कार्यक्रम हमारे देश के ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ (स्वतंत्रता के 75 वर्ष) समारोह के एक भाग के रूप में आदिवासी समुदाय के गुमनाम नायकों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था।

एनआईटी रायपुर के निदेशक, डॉ. ए.एम. रावाणी इस आयोजन के अध्यक्ष थे एवं छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष बी.एस.एल. ठाकुर मुख्य अतिथि थे। मध्य प्रदेश सरकार के उप सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय, लक्ष्मण राज सिंह मरकाम, और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रविशंकर मुख्य वक्ता थे। एनआईटी की सहायक प्रोफेसर, डॉ मिना मुर्मू कार्यक्रम की संचालिका थी।

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान गाकर और उसके बाद दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
इसके अलावा, मुख्य मुख्य वक्ता श्री लक्ष्मण राज सिंह ने दर्शकों को बताया कि कैसे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने से हमारे देश के नागरिकों में राष्ट्रवाद की भावना पैदा होती है। वक्ता ने जनजातीय भूमि पर ब्रिटिश आक्रमण के इतिहास के बारे में श्रोताओं को अवगत कराया और बिरसा मुंडा, वीर नारायण और अन्य कई आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों का भी उल्लेख किया।

इसके अलावा, मुख्य वक्ता रविशंकर जी ने मंच संभाला और शिकायतों के लिए ऑनलाइन पोर्टल ‘ncstgrams.gov.in’ जैसे एनसीएसटी के कार्यों का उल्लेख किया और हर शिकायत पर आयोग द्वारा कार्रवाई का भरोसा दिलाया। उन्होंने आयोग के वर्तमान विकासशील क्षेत्रों का भी उल्लेख किया जिसमें ग्रामीण लोगों की जरूरतों पर अनुसंधान और उनके लिए कौशल विकास कार्यशालाओं का प्रावधान शामिल है।

मुख्य अतिथि बी.एस.एल. ठाकुर ने युवाओं को प्रेरित करने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरक कहानियां साझा कीं और छात्रों को सलाह दी कि वे जो कुछ भी कर रहे हैं उसके लिए अपना सर्वस्व दे दें और हमेशा मानवता को अपने आदर्शो में बनाये रखे।

एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ. ए.एम. रावाणी ने एनआईटी रायपुर को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बताते हुए कहा कि संस्थान हमेशा उन्नती के कदमों को लागू करने की पहल का पालन करता है। संस्थान में अनुसूचित जनजातियों और जातियों के लिए एक समर्पित शिकायत प्रकोष्ठ भी है।

उन्होंने सभी मेहमानों को अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालने और इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद देते हुए अपने वक्तव्य का समापन किया।कार्यक्रम के दौरान डीन, शोध व परामर्श डॉ प्रभात दीवान, डीन, अकादमिक डॉ श्रीश वर्मा मौजूद रहे।

कार्यक्रम के बाद अतिथियों ने आर्ट गैलरी के भ्रमण का भी भ्रमण किया। इस अवसर पर आदिवासी नेताओं के गुमनाम नायकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। अतिथियों ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने वाली कलाकृतियों को प्रदर्शित करने के लिए एनआईटी रायपुर की पहल की सराहना की।