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गणेश चतुर्थी 2022 : कब करें विघ्नहर्ता की स्थापना, देखिए शुभमुहूर्त और पूजा विधि…

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रायपुर। बुधवार को देशभर में भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना के साथ ही गणेशोत्सव की शुरुआत होगी। इस दौरान घर घर पर गणपति की स्थापना की जाती है। विघ्नहर्ता के प्रतिमा की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त क्या होगा इसकी जानकारी हमारे संवाददाता को स्वामी राजेश्वरानंद ने दी।

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स्वामी राजेश्वरानंद ने बताया कि गणेश उत्सव का आरंभ 31 अगस्त 2022 दिन बुधवार को होगा, जो पुरे जोर शोर से दस दिनों तक चलेगा। गणेश उत्सव का समापन 9 सितंबर 2022 अनंत चतुर्दशी के साथ होता है। उन्होंने कहा कि मंगलमुर्ती की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 04 मिनट से 01 बजकर 37 मिनट तक है। इसकी अवधि 2 घंटे 33 मिनट की है।

गणेश चतुर्थी का महत्व एवं पूजन विधि

स्वामी राजेश्वरानंद ने कहा कि मान्यता है कि भगवान गणेश का जन्म दोपहर के आसपास हुआ था, इसलिए गणेश चतुर्थी मनाने का शुभ मुहूर्त दोपहर के आसपास ही होता है। गणेश चतुर्थी 2022 की बात करें तो वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शुभ मुहूर्त 11 बजे से लेकर दोपहर के 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। हालांकि शुभ मुहूर्त इस बात पर निर्भर करता है कि आप भारत में किस जगह हैं।

गणेश चतुर्थी 2022 : ये है पूजन विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।
  • अपने घर में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने से पहले नियमानुसार अनुष्ठान करें।
  • गणेश प्रतिमा की स्थापना करने के लिए एक चौकी लें और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
  • फिर भगवान की मूर्ति के सामने बैठकर पूजा शुरू करें।
  • सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति को गंगाजल से पवित्र कर फूल, दूर्वा आदि अर्पित करें।
  • इसके बाद गणेश जी को उनका प्रिय भोग मोदक अर्पित करें।
  • फिर अगरबत्ती, धूप और दीप जलाकर आरती करें।
  • इस दिन चंद्रमा को देखना वर्जित माना जाता है।

अनंत चतुर्दशी

सवाल यह है कि गणपति विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन क्यों किया जाता है। यह दिन ख़ास क्यों माना जाता है? संस्कृत में अनंत का अर्थ होता है, अमरता, अनंत ऊर्जा या अनंत जीवन। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान अनंत की पूजा की जाती है।

धार्मिक मान्यता है कि भगवान अनंत ने सृष्टि के निर्माण के समय चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी। अनंत चतुर्दर्शी भाद्रपद माह के चौदहवें दिन यानी कि चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, जब चाँद आधा दिखाई देता है।

भगवान शिव ने जोड़ा था हाथी का सर

पौराणिक कथा के अनुसार,एक बार माता पार्वती स्नान करने के लिए जा रही थीं। तभी उन्होंने अपने शरीर में लगाए हुए उबटन से एक प्रतिमा का निर्माण किया और फिर उसे जिवंत किया। माँ पारवती ने उन्हें द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया तथा आदेश दिया कि वह उनके घर की रक्षा करेगा। द्वारपाल की भूमिका में और कोई नहीं बल्कि भगवान गणेश थे। उस दिन जब भगवान शिव घर में प्रवेश करने लगे तो गणेश जी ने उन्हें रोका।

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इस पर महादेव क्रोधित हो गए और युध्द में उनका मस्तक धड़ से अलग कर दिया। माता पार्वती को जब यह बात पता चली तो वो दुःख के मारे रोने लगीं। उनको प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने गज यानी कि हाथी के सिर को धड़ से जोड़ दिया इसलिए भगवान गणेश को गजानन भी कहा जाता है। तब से इस दिन को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने लगा।