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विधानसभा में गूंजा टीएस सिंहदेव के इस्तीफ़े का मामला, कार्यवाही स्थगित….

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रायपुर। मंत्री टीएस सिंहदेव के पंचायत विभाग छोड़ने के मामले पर विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन आज प्रश्न काल के बाद जोरदार हंगामा हुआ। बृजमोहन अग्रवाल ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि मंत्री के इस्तीफ का मामला बेहद गंभीर है और यह सदन की व्यवस्था का प्रश्न है। उन्होंने सदन में सिंहदेव के सीएम के नाम लिखे चार पन्नों का पत्र पढ़ा।

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विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मंत्री ने सरकार पर ही अविश्वास प्रकट किया है। अनुच्छेद 166 में राज्यपाल ने मंत्रियों को अधिकार दिए है, मुख्यमंत्रियों को मंत्रियों के अधिकार छिनने का अधिकार नहीं है। क्या मंत्री से मुख्य सचिव बड़ा हो गया है ? छत्तीसगढ़ में ये अनूठा उदाहरण है। मंत्री यदि एक विभाग से इस्तीफ़ा देता है तो इस विषय पर जब तक मंत्री और मुख्यमंत्री का वक्तव्य नहीं आ जाता तब तक सदन चलाने का कोई औचित्य नहीं।

विधायक अग्रवाल ने कहा कि मंत्री में यदि हिम्मत है तो आकर वह मंत्री पद से इस्तीफ़ा दें। राज्यपाल के प्रति उत्तरदायित्व रहते हुए एक मंत्री यदि सरकार पर सवाल उठाता है तो ऐसे में मंत्रिमंडल पर विश्वास कैसे किया जा सकता है। ये कौन सा नियम है, कौन सा संविधान है कि मंत्री के निर्णय पर मुख्य सचिव की कमेटी अंतिम निर्णय ले, जब तक इस प्रकरण का निराकरण नहीं हो जाता तब तक सदन की कार्यवाही स्थगित रखी जाए।

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आरोप लगाया कि अंधी-बहरी और गूंगी सरकार है, जो अपने मंत्री की आवाज नहीं सुन पा रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा नहीं है कि प्रधानमंत्री आवास जरूरतमंदों को मिल सके। कौशिक ने कहा कि सिंहदेव ने इस्तीफा दिया है, इसकी कोई सूचना मेरे पास नहीं है। वे विधानसभा से छुट्टी लेकर बाहर गए हैं।

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कार्यवाही के लिए अपने विभागों का जिम्मा उन्होंने मंत्री मोहम्मद अकबर को दे गए हैं। ऐसे में, व्यवस्था का प्रश्न कहां से आता है। हंगामा न रुकने पर विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी।