रायपुर। हसदेव अरण्य मामलें में सूबे के कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव के बयान पर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने भी मीडिया में अपनी बात रखी है। मरकाम ने इस मामलें में मिडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि “कोयला खदान आवंटन करने का अधिकार केंद्र सरकार को है। केंद्र सरकार ने हमारी सरकार आने से पहले खदान का आवंटन किया है। केंद्र सरकार को उस क्षेत्र के हितों की रक्षा करनी चाहिए।”
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आगे सिंहदेव के दिए गए बयान से जुड़े एक सवाल के जवाब में मोहन मरकाम ने कहा कि “माननीय मंत्री टीएस सिंहदेव उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि है और एक सजग जनप्रतिनिधि होने के नाते क्षेत्र के लोगों का सुख दुख जानना उनकी जिम्मेदारी है। जनता की कुछ मांगे है, तो उसे सरकार तक पहुंचाना भी उनकी जिम्मेदारी है।”
गौरतलब है कि प्रदेश के पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने सोमवार को हसदेव अरण्य क्षेत्र के घाटबर्रा, हरिहरपुर, साल्ही, बासेन के दौरे के दौरान आमजनों से मुलाकात की थी। इस दौरान सिंहदेव ने कहा था कि “मैं दिल्ली जाकर आप सबकी मंशा, आपकी पीड़ा और हसदेव अरण्य को बचाने की आपकी मांग से हमारे नेता राहुल गांधी को अवगत कराऊंगा। उन्होंने पहले भी इस क्षेत्र में आकर इसे बचाने पर जोर दिया था तथा अभी विदेश में रहते हुए आपके आंदोलनों को जायज बताया है। मैं आपकी बात उन तक पहुंचाऊंगा।”
इसके आलावा घाटबर्रा पहुंचे पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने उस वन क्षेत्र का भी दौरा किया था, जहां पर कुछ दिन पूर्व भारी पुलिस बल की मौजूदगी में पेड़ों को काटा जा रहा था। मंत्री सिंहदेव ने न सिर्फ कटे हुए पेड़ो की जानकारी ली बल्कि वर्तमान में संचालित खदान के लिए काटे गए जंगल एवं वहां के पेड़ के एवज में कितने पेड़ कहां लगाये गए इसकी भी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों से ली ? साथ ही खदान में जहां कार्य पूर्ण हो गया है वहां मिट्टी भरने के बाद पेड़ लगे या नहीं इसकी जानकारी ली।
नियम और क़ानून से होगा काम
वन विभाग के उपस्थित कर्मचारियों ने बताया कि खदान के गड्ढों को भरने के बाद अब तक पेड़ नहीं लगाये गए हैं। जिसे लेकर उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यही कारण है कि जनता का विरोध है। मैं पूछना चाहता हूं विगत दिन जो पेड़ भारी लाव-लश्कर की उपस्थिति में काटे गये, उसके एवज में दुगुना पेड़ कहा लगाया गया, मुझे जरा बतायें ?
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नियम है एक एकड़ के बदले दो एकड़ एरिया में पेड़ लगना चाहिए, काटने तो आ गये, लेकिन पेड़ कहा लगा, इसकी जानकारी कौन देगा ? गलत जानकारी और गलत आंकड़ा देकर ये सबको भ्रमित कर ग्रामीणों को परेशान कर रहे हैं, यह नहीं चलेगा, नियम और कानून से काम होगा।