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श्रीनगर समेत देश ने जाना छत्तीसगढ़ का कृषि और आजीविका मॉडल, मिली सराहना…

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श्रीनगर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में कृषि को समृद्ध और किसानों को खुशहाल बनाने तथा कृषि आधारित गतिविधियों के माध्यम से गांवों में रोजगार और लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए किए जा रहे कार्यों को देश के अन्य राज्यों ने जाना, समझा और सराहा है।

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छत्तीसगढ़ राज्य के कृषि और आजीविका मॉडल को जानने और समझने के लिए ‘‘प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से नागरिकों और सरकार को करीब लाने’’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में छत्तीसगढ़ को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है ।

श्रीनगर में आयोजित इस राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ कमलप्रीत सिंह ने छत्तीसगढ़ में सतत कृषि और आजीविका विकास के मॉडल के बारे में विस्तार से पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुति दी।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ राज्य बीते साढ़े 3 सालों में कृषि के क्षेत्र में मॉडल राज्य के रूप में उभरा है। छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों के चलते राज्य में कृषि उत्पादन, उत्पादकता एवं किसानों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

राजीव गांधी किसान योजना

राज्य में कृषि उत्पादन, उत्पादकता और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए संचालित राजीव गांधी किसान योजना से कृषि को प्रोत्साहन मिला है। सुराजी गांव योजना के नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम और गोधन न्याय योजना से गांवों में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

गोधन न्याय योजना में क्रय किए जा रहे गोबर

गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए किलो में क्रय किए जा रहे गोबर से पशुपालक किसानों को अतिरिक्त लाभ होने लगा है। पशुपालन राज्य में अब आय का जरिया बन गया है। राज्य के 8397 गांव में निर्मित एवं संचालित गौठानों में अब तक 69.28 लाख क्विंटल गोबर का क्रय किया गया है, जिसके एवज में गोबर विक्रेता पशुपालकों और ग्रामीणों को 138 करोड़ 56 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। क्रय गोबर से 19 लाख क्विंटल से अधिक कंपोस्ट खाद का निर्माण कर महिला समूह ने 33 करोड़ 40 लाख की आय अर्जित की है।

गौठानों से 12,013 महिला स्व- सहायता समूह जुड़े

राज्य के गांवों में स्थापित गौठानों से 12,013 महिला स्व- सहायता समूह जुड़े हैं, जिनकी सदस्य संख्या 82725 है। महिला समूह गौठनों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट प्लस के उत्पादन के साथ ही कई तरह के अन्य उत्पाद तैयार कर रही हैं।

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विभिन्न आय मूलक गतिविधियां जिसमें सब्जी उत्पादन, मछली पालन, मुर्गी पालन आदि का संचालन कर रही हैं। इससे महिला समूह को अब तक 65 करोड़ 45 लाख रुपए की आय हुई है। गौठानों में गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत हो चुकी है। गोबर से नेचुरल पेंट बनाने के लिए प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं, इससे गावों में रोजगार और ग्रामीणों के आय में वृद्धि होगी।