नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव का असर भारत समेत पूरी दुनिया में पड़ने वाला है। इस तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमत अब आसमान छू रही है।
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ब्रेंट-इंडेक्स्ड कच्चे तेल की कीमत 94 से 95 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रही है, जो कि पिछले कुछ समय के अपने उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
गौरतलब है कि रूस कच्चे तेल के दुनिया के शीर्ष उत्पादकों में से एक है और इसके खिलाफ कोई भी पश्चिमी प्रतिबंध वैश्विक आपूर्ति को मुश्किल में डाल देगा। मौजूदा संकट भारत के लिए भी महत्व रखता है क्योंकि वह अपनी कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से घरेलू कीमतों में तेजी आ सकती है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है।
जानकारों की मानें तो पूर्वी यूक्रेन में दो अलग-अलग क्षेत्रों में रूस की ओर से सैनिकों को आदेश दिए जाने के बाद रूस और पश्चिम के बीच तनाव बढ़ने से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है। रूस-यूक्रेन के अलावा, अमेरिका और यूरोपीय संघ के रूस पर संभावित प्रतिबंधों पर चर्चा के बाद तेल की कीमतों में तेजी आई है।
रूस-यूक्रेन के तनाव से बढ़ेगा घाटा
गौरतलब है कि कोविड महामारी का प्रकोप कम होने के साथ ही देश में पेट्रोल, डीजल और अन्य प्रकार के ईंधन की मांग जोर पकड़ने लगी है। अगर देश में खपत बढ़ती है तो इससे सीधे तौर पर देश का आयात बढ़ेगा।
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इसके कारण बजट भी गड़बड़ा सकता है और राजकोषीय घाटा बेकाबू हो सकता है। इसके साथ ही इस बढ़ी क़ीमत का सीधा असर देश की महंगाई और आजम आदमी की जेब पर दिखाई देगा।