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भारतीय भाषाओं के संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाए शैक्षिक संस्‍थान : उपराष्‍ट्रपति

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दिल्ली। उप-राष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) ने क्षेत्रीय और स्‍थानीय भाषाओं को प्रशासनिक भाषा बनाने की आवश्‍यकता पर बल दिया है। उन्‍होंने विश्‍वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्‍थाओं से भारतीय भाषाओं का संरक्षण करने और शोध को इस प्रकार आगे ले जाने को कहा, जिससे संस्‍कृति और परम्‍पराओं का संरक्षण हो सके।

हैदराबाद में पोट्टी श्रीरामुलू तेलुगू विश्‍वविद्यालय के 36वें स्‍थापना दिवस के अवसर पर आज सुबह विशिष्‍ट पुरस्‍कार प्रदान करने के बाद उप-राष्‍ट्रपति ने विश्‍वविद्यालय की सेवाओं की सराहना की। देश में यह दूसरा विश्‍वविद्यालय (M. Venkaiah Naidu) है, जिसकी स्‍थापना भाषा का संरक्षण करने और शोध करने के उद्देश्‍य से की गई है। उप-राष्‍ट्रपति ने कहा कि वैश्वीकरण के मद्देनजर संस्‍कृति और परम्‍पराएं समुदायों की पहचान बनेंगी।

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उपराष्‍ट्रपति वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) ने विश्‍वविद्यालयों का आह्वान किया कि वे भाषा, संस्‍कृति, परम्‍पराओं और कला का संरक्षण करें तथा शोध जारी रखें। उन्‍होंने कहा कि किसी भी भाषा के बारे में लोगों में हीनता की भावना आना खतरनाक है। श्री नायडू ने संस्‍थानों से कहा कि वह अत्‍याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ वैज्ञानिक शब्‍दावलियां विकसित करें, जिससे कि स्‍थानीय और क्षेत्रीय भाषाएं, शिक्षा का माध्‍यम बन सकें। इससे पहले, उप-राष्‍ट्रपति ने वर्ष 2018 के लिए जाने-माने साहित्‍यकार डॉ. कुरेल्‍ला विट्ठलाचार्य और वर्ष 2019 के लिए जाने-माने नृतक कलाकृष्‍णा को विशिष्‍ट तेलुगू विश्‍वविद्यालय पुरस्‍कार प्रदान किए।