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RBI ने बैंकों को दी बड़ी राहत, अब बगैर अनुमति के विदेशी ब्रांच में कर सकेंगे निवेश

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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने अब बैंकों को उनकी विदेशी शाखाओं में पूंजी लगाने और साथ ही मुनाफे को वापस लाने की छूट दे दी है। अब इसके लिए किसी भी बैंकों को रिजर्व बैक की अनुमति लेने की जरुरत नहीं होगी। बशर्ते कि कुछ नियामक पूंजी आवश्यकताओं को पूरा किया जाए।

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इस समय देश में स्थापित बैंक आरबीआई से पूर्व मंजूरी लेकर अपनी विदेशी शाखाओं और अनुषंगियों में निवेश कर सकते है। इन केंद्रों में लाभ बनाए रख सकते हैं और मुनाफे को वापस अपने पास ला सकते हैं, उसका हस्तांतरण कर सकते है।

रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने केंद्रीय बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा “बैंकों को कारोबार संबंधी लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से, यह फैसला लिया गया है कि बैंकों को नियामक पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक की पूर्व मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में निर्देश अलग से जारी किए जा रहे है।”

गवर्नर दास ने आगे कहा कि “निवेश के वर्गीकरण, माप और मूल्यांकन संबंधी वैश्विक मानकों के बाद के महत्वपूर्ण घटनाक्रम, पूंजी पर्याप्तता ढांचे के साथ-साथ घरेलू वित्तीय बाजारों में प्रगति के मद्देनजर, इन मानदंडों की समीक्षा की और उन्हें अद्यतन करने की जरूरत है।”

RBI गवर्नर बोले-लिबोर व्यवस्था होगी बंद

उन्होंने कहा कि इस दिशा में एक कदम के रूप में, एक पत्र जल्द ही भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर टिप्पणियों के लिए डाला जाएगा। इसमें पत्र में सभी अहम पहलू शामिल होंगे। दास ने कहा कि लिबोर (लंदन इंटरबैंक आफर्ड रेट) व्यवस्था का बंद होना तय है,

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ऐसे में इस व्यवस्था के बंद होने पर उधारी को लेकर किसी भी व्यापक रूप से स्वीकृत अंतरबैंक दर या वैकल्पिक संदर्भ दर (एआरआर) को मानक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। फिलहाल विदेशी मुद्रा बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी)/व्यापार कर्ज (टीसी) के मामले में छह महीने के लिबोर दर या अन्य किसी छह महीने के अंतरबैंक ब्याज दर व्यवस्था को लागू किया जाता है।