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टाइटलर ने बढ़ाईं पंजाब में कांग्रेस की मुश्किलें, अकाली दल ने सोनिया, सिद्धू और चन्नी को घेरा

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दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारी समिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) को शामिल किए जाने के बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शिरोमणि अकाली दल ने इस कदम को लेकर कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला है।

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अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने टाइटलर का नाम 1984 के सिख विरोधी दंगे में शामिल होने की याद दिलाते हुए सोनिया गांधी को घेरा है। उन्होंने कहा कि टाइटलर को समिति में लेकर कांग्रेस ने सिखों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। कांग्रेस के लिए इस मुद्दे का जवाब देना मुश्किल हो गया है क्योंकि पार्टी को अगले साल पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ना है।

सोनिया ने टाइटलर को बनाया सदस्य

दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से प्रदेश कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों के नामों को मंजूरी दी गई है। पार्टी की ओर से गुरुवार को नई कार्यसमिति का ऐलान किया गया था। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सभी नामों को मंजूरी दे दी है। टाइटलर (Jagdish Tytler)  के अलावा प्रदेश कांग्रेश के वरिष्ठ नेता जयप्रकाश अग्रवाल, कपिल सिब्बल, अजय माकन, जनार्दन द्विवेदी, अरविंदर सिंह लवली और सुभाष चोपड़ा को नई कार्यसमिति में शामिल किया गया है।

बादल ने दिलाई सिख विरोधी दंगों की याद

अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है और उन्होंने इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि टाइटलर (Jagdish Tytler)  को समिति में शामिल करना बहादुर और देशभक्त सिख समुदाय का अपमान है। इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। 1984 के सिख विरोधी दंगों में जिन कांग्रेसी नेताओं का हाथ था, उनमें जगदीश टाइटलर भी शामिल हैं। उन्हें समिति में जगह देकर कांग्रेस ने सिखों के जख्म पर नमक छिड़का है।

फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग

शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के नेता सुखदेव ढींडसा ने भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि टाइटलर 1984 के सिख विरोधी दंगे में शामिल रहे हैं और कांग्रेस को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि आखिर उन्हें समिति में क्यों शामिल किया गया। एक और नेता करनैल सिंह ने मांग की कि कांग्रेस को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि टाइटलर किसी भी सिख को स्वीकार नहीं है।