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दुर्गाष्टमी में शुरू हुआ हवन पूजन, रायपुर की माँ महामाया का होगा “वीर मुद्रा” में श्रृंगार

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के प्राचीन सिद्धपीठ माँ महामाया देवी मंदिर में दुर्गा अष्टमी पर हवन पूजन शुरू हो गया है। इसके साथ ही शहर के अंदर विभिन्न पूजा पंडालों में विराजी माँ दुर्गा के समक्ष भी हवन पूजन शुरू हो चूका है।

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माँ महामाया मंदिर में अष्टमी तिथि में आज बुधवार को सुबह से ही अठवाही का भोग श्रद्धालुओं द्वारा लगाया गया। दिनभर नवरात्रि दिनचर्या के बाद साढ़े सात बजे से हवन पूजन प्रारंभ किया गया। माँ महामाया मंदिर में हवन की पूर्णाहुति रात साढ़े 9 बजे सम्पन्न होगी, जिसके बाद माँ महामाया और देवी समलेश्वरी की महाआरती की जाएगी। इसके बाद आवाहित देवी देवताओ के विसर्जन पूजन और ब्राह्मण भोजन कराया जायेगा।

फिर अर्धरात्रि में राज ज्‍योति सहित समस्‍त मनोकामना ज्‍योति विसर्जन के लिय गर्भगृह में मातेश्‍वरी के सामने शस्‍त्र पूजा की जायेगी। जिसमें मातेश्‍वरी की आठों हाथों में धारण किये जाने वाली सभी शस्‍त्रों (धनुष बाण, तलवार, चक्र, गदा, परिध,शूल,भुशूंडी) की विधि पूर्वक पूजन कर कुष्‍माण्‍ड बलि की पूजा होगी। शस्‍त्र पूजा व बलि पूजा के बाद राजज्‍योति की विसर्जन पूजा कर मंदिर परिसर स्थित प्राचीन बावली में ही विसर्जित किया जायेगा।

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ज्योति विसर्जन के बाद मातेश्‍वरी की “वीर मुद्रा” में भव्‍य शस्‍त्र श्रृंगार किया जायेगा। पूरे आठों हाथों में शस्‍त्र धारण के साथ ही मातेश्वरी का आर्कषक श्रृंगार किया जायेगा। यह शस्त्र सिंगार पुरे वर्ष भर में मात्र दो बार ही नवरात्रि पर्व के ज्योति विसर्जन वाली रात को ही किया जाता है। इस दुर्लभ छवि के दर्शन, गुरुवार को दिनभर किया जा सकता है।