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रोजमर्रा का खर्च निकालने फिर से 1 हजार करोड़ का कर्ज लेगी भूपेश सरकार

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रायपुर। शासकीय कर्मचारियों को वेतन देने और रोजमर्रा का खर्च निकालने के लिए आरबीआई से फिर 1 हजार करोड़ रुपए कर्ज (KARJ) लेने की तैयारी भूपेश सरकार कर रही है।

पूर्व में कर्ज लेने के लिए सरकार की दलील रहती थी, कि किसानों की कर्ज माफी, धान समर्थन मूल्य के अंतर की राशि, या अन्य योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए कर्ज लिया गया है। वर्तमान में सरकार ऐसी स्थिति से गुजर रही है, कि उसे रोजमर्रा खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। सरकार का कहना है कि केंद्र की तरफ से उन्हें राशि रिलीज नहीं की जा रही है। वहीं बीजेपी का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार पूरी तरह से कंगाल है। जानकारो की मानें तो छत्तीसगढ़ सरकार की आर्थिक स्थिति आगे चलकर और खराब हो सकती है।

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36 हजार 170 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है सरकार

भूपेश सरकार ने सत्ता पर काबिज होने के बाद दिसंबर 2018 से जनवरी 2021 तक लगभग 36 हजार 170 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। जिसमें रिजर्व बैंक से 32 हजार 80 करोड़, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक से 1994.42 करोड़ और केंद्र सरकार के माध्यम से एशियन डेवलपमेंट ऋण/विश्व बैंक से ऋण/ जीएसटी ऋण2095.38 करोड रुपए कर्ज ले चुकी है। इस कर्ज (KARJ)  की एवज में साल 2019-20 में भूपेश सरकार लगभग 4 हजार 225 करोड़ रुपए का ब्याज भर चुकी हैं।

विरासत में मिला 4 हजार 1695 करोड़ रुपए का कर्ज

भाजपा शासनकाल की बात की जाए तो भूपेश सरकार को लगभग 41 हजार 695 करोड़ का कर्ज (KARJ)  विरासत में मिला है। छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि ‘राज्य के हिस्से का 30 हजार करोड़ रुपये यदि केंद्र नहीं देती है तो कर्ज तो लेना ही पड़ेगा। केंद्र सरकार ने हमारा पैसा रोक रखा है। लगभग 30 हजार करोड़ रुपये राज्य सरकार को केंद्र सरकार से जीएसटी, क्षतिपूर्ति, माइनिंग, कोल ब्लॉक की राशि, सहित अन्य मत का लेना है जो केंद्र सरकार के द्वारा अब तक नहीं दिया गया है।