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सांसद दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा, महापुरुषों की जीवनी को आत्मसात करना महत्वपूर्ण

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रायपुर। भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि बलिदान दिवस के रूप में मनायी गई। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करने राज्यसभा सदस्य और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम रायपुर पहुंचे। जहाँ उन्होंने पार्टी कार्यालय में भाजपा के पंचनिष्ठा के प्रतीक स्वरूप 5 पौधों का रोपण किया गया।

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संगोष्ठी को संबोधित करते हुए दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा कि “महापुरुष के जीवन बात करना,उनके जयकारे लगाने के साथ उनकी जीवनी को आत्मसात करना भी महत्वपूर्ण है। जितनी संकल्प शक्ति भाजपा के अग्रपुरुषो में है उसे अपनाए ताकि आने वाली पीढ़ी हमे भी उनके समान याद करे।”

डॉ मुखर्जी के विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा कि “आजादी के पश्चात सन 50 तक आते आते देश की स्थितियां बदलती गई। नेहरू जी की हठ धर्मिता से धारा 370 लागू हुए, आधा कश्मीर चला गया,देश में ऐसे वातावरण तैयार होने लगे, जिसमें देश गुलाम हुआ था। ऐसे समय में देश हित को सर्वोपरि मानते हुए नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर उन्होंने जनसंघ की आधारशिला रखी। जनसंघ के निर्माण का उद्देश्य देश की अखण्डता की रक्षा के लिए था।”

कश्मीर ही नहीं पंजाब और बंगाल भी बचा-डॉ रमन

संगोष्ठी में उद्बोधन देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि “नेहरू मंत्रिमंडल में डॉ श्यामाप्रसाद मंत्री बने। देश में औद्योगिकरण विचारधारा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की देंन है। 1950 में नेहरू लियाकत समझौता के बाद उन्होंने नेहरू पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए मंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया था।

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उन्होंने कहा कि बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान के बाद न केवल कश्मीर अपितु पंजाब और बंगाल का बहुत सारा हिस्सा दूसरे हाथों में जाने से बचा।”