जगदलपुर। बस्तर की कला और संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले प्रसिद्ध रंगकर्मी बापी दा उर्फ सत्यजीत भट्टाचार्य का असामायिक निधन हो गया है। उनके निधन की खबर के बाद ना केवल कलाकारों, बल्कि समूचे बस्तर में शोक की लहर है। सत्यजीत भट्टाचार्जी उर्फ बापी अंचल के लोकप्रिय रंगकर्मी के रुप मे प्रतिष्ठित थे। बस्तर के कलाकारों को हिन्दूस्तान के बड़े मंच प्रदान करने मे उनकी उपयोगिता को विस्मृत कर पाना असम्भव है। नाट्यश्री, नाट्यभूषण, नाट्यरत्न जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित इस कलाकार का असमय चला जाना अंचल के लिए अपूरणीय क्षति है।
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उन्होने जगदलपुर मे कई वर्षो तक नाट्य परब का आयोजन किया जिसमे देश भर के रंगकर्मी अपनी कला का प्रदर्शन करने बस्तर आते रहे हैं। बापी दा के नाम 5000 नुक्कड़ नाटकों का अनुभव है। उन्होने करीब 100 नाटकों का निर्देशन किया है । हिंदी व बंग्ला थियेटर के वे सशक्त हस्ताक्षर थे। कई बांग्ला नाटकों मे उनके अभिनय को भी लोगो ने देखा है। वे नई व पुरानी पीढी के रंगकर्मियो के बीच की कड़ी थे। उन्होने बस्तर के रंगकर्म को 70 के दशक से अब तक देखा है।
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इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र मे भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से भी वे जुडे रहे एन सी एस टी सी नेटवर्क के वे मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ प्रमुख थे बच्चो मे विज्ञान के प्रति अभिरुचि विकसित करने उक्त विभाग ने यह दायित्व उन्हे सौंपा था जिसका उन्होने बखूबी निर्वाह किया। पेशे से व्यवसायिक फोटोग्राफर होने के साथ साथ कुशल वीडियोग्राफर, मूर्ति कार, मेकअप आर्टिस्ट, सिंगर, एंकर सब कुछ थे।