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चेंबर चुनाव : कपडा मार्केट में हुए विवाद के बाद भड़के कारोबारी, दाग़े सवाल…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ चेंबर चुनाव में सियासी सरगर्मी बढ़ते जा रही है। इस बीच कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स एसोशिएशन भारत बंद के बीच हुए वाद विवाद का मामला भी तूल पकड़ता जा रहा है। कारोबारियों में कैट पदाधिकारियों के खिलाफ ज़बरदस्त रोष है।

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दरअसल 26 फरवरी यानी शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान कैट की तरफ से किया गया था, जिसे चेंबर की तरफ से समर्थन नहीं दिया गया था। ऐसे में कैट पदाधिकारी जब जबरिया दुकानें बंद कराने निकले तब उन्हें कारोबारियों का विरोध भी झेलना पड़ा। माहौल इतना बिगड़ा के तीखी नोकझोक के बाअद बात गाली गुफ़्तार तक पहुंच गई। जैसे तैसे मामला निबटा और पंडरी कपड़ा बाजार खुला।

अब इस गाली गुफ़्तार के बाद कारोबारी कैट पदाधिकारी के चेंबर चुनाव लड़ने पर सवाल उठा रहे है। कारोबारियों का कहना है कि ऐसे लोग जो कारोबारियों की तकलीफ नहीं समझ रहे है, वे किस हक से चेंबर के पदाधिकारी बनने चुनाव लड़ रहे है ?

यही नहीं व्यापारियों के बीच इस बात की भी चर्चा ज़ोरो पर है कि तीन सालों में जिन्होंने चेंबर की केवल बुराई की, किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, किसी सदस्य से सुखदुख नहीं बांटा आज वो किस मुंह से चुनाव लड़ रहे है ?

समर्थन नहीं तो बंद कराने का तुक नहीं

पंडरी कपडा मार्केट के कारोबारियों का कहना है कि एक तरफ तो चेंबर चुनाव में अमर पारवानी खुद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे है। दूसरी तरफ उसी चेंबर के फैसले के खिलाफ जा कर वे दुकानें बंद कराने सड़कों में घूम रहे है।

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एक ही समय में उनका ये दोहरा कैरेक्टर सभी कारोबारीयों ने देखा है। कई व्यापारी ये तक कह रहे है कि उन्हें चेंबर से ज़्यादा कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स एसोशिएशन और अपने पद से ही लगाव है, व्यापारी हित से नहीं।

कारोबारियों के सवाल

0 कैट पदादिकारी किस हक से चेंबर का चुनाव लड़ रहे है ?

0 जिन्होंने तीन साल में कभी चेंबर भवन में कदम नहीं रखा फिर अब क्यों लौटे ?

0 चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के सदस्यों से जो बत्तमीज़ी हुई तब वे एक पूर्व पदाधिकारी, वर्तमान प्रत्याशी होने के बाद भी चुप क्यों थे ?

0 चेंबर के फैसले का समर्थन करने की बजाए खिलाफत कर सड़कों पर दुकाने बंद क्यों करा रहे थे ?

0 जिन्होंने कभी चेंबर सदस्य और व्यापारियों का सुख दुःख नहीं जाना वो अचानक हितैषी कैसे बन गए ?