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राजिम में माघी पुन्नी पर लगी आस्था की डुबकी, सीएम भूपेश ने दी शुभकामनाएं…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रयाग के नाम से प्रसिद्ध राजिम में माघी पुन्नी मेला (Punni Mela 2021) आज से शुरू हो रहा है। ये मेला 11 मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा।
यहां त्रिवेणी संगम में आज माघ पूर्णिमा के अवसर पर ब्रम्हमुहूर्त से ही श्रद्धालुओं ने पूण्य स्नान किया और दिप दान किया।
माघी पूर्णिमा के अलावा 6 मार्च जानकी जयंती और 11 मार्च महाशिवरात्रि को विशेष पर्व रहेगा। मेले की विधिवत शुरुआत शाम 5 बजे छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत करेंगे। इस समारोह की अध्यक्षता धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू करेंगे।
इधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजिम माघी पुन्नी मेला (Punni Mela 2021) की प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी है। बघेल ने कहा है कि राजिम माघी पुन्नी मेला में पूरे छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति का दर्शन होता है। छत्तीसगढ़ के प्रयागराज के रूप में प्रसिद्ध राजिम में महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों का पवित्र त्रिवेणी संगम है। इस पवित्र संगम में सदियों से इस मेले का आयोजन हो रहा है। छत्तीसगढ़ ही नहीं आसपास के राज्यों के लोग भी बड़ी संख्या में श्रद्धा के साथ इस मेले में शामिल होते हैं। राज्य सरकार ‘राजिम माघी पुन्नी मेला‘ को उसका मूल स्वरूप प्रदान कर छत्तीसगढ़ की गौरवशाली सांस्कृतिक परम्पराओं को संरक्षित और संवर्धित करने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोरोना संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है, इसके खतरे की चुनौतियां अभी भी कायम हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि माघी पुन्नी मेले में जाते समय कोविड-19 से बचाव के लिए मास्क पहनें, शारीरिक दूरी बनाए रखें और सभी आवश्यक दिशा-निर्देशों का पालन करें।

Punni Mela 2021 ये है विशेषता

गौरतलब है कि महानदी के तट पर स्थित राजिम छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध तीर्थ है। इसे छत्तीसगढ़ का ’प्रयाग’ भी कहते हैं। यहाँ के प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर में भगवान विष्णु प्रतिष्ठित हैं। प्रतिवर्ष यहाँ पर माघ पूर्णिमा से लेकर शिवरात्रि तक एक विशाल मेला लगता है। यहाँ पर महानदी, पैरी नदी तथा सोंढुर नदी का संगम होने के कारण यह स्थान छत्तीसगढ़ का त्रिवेणी संगम कहलाता है। माघी पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक चलने वाले इस मेले में भगवान राजीवलोचन मंदिर, श्री कुलेश्वर महादेव, महाप्रभु वल्लभाचार्य जी प्राकट्य स्थल चम्पारण, प्राचीन देवालयों के दर्शन, संतों के प्रवचनों एवं सानिध्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का श्रद्धालु प्रतिदिन आनंद ले सकेते हैं।