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जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पढ़ी कविता, “अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुप…”

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नई दिल्ली। राज्य सभा में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बजट सत्र के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आभार जताया। साथ ही उन्होंने सदन को संबोधित भी किया।

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पीएम मोदी ने कहा कि “अनेक चुनौतियों के बीच राष्ट्रपति जी का इस दशका का प्रथम भाषण हुआ। लेकिन ये भी सही है जब पूरे विश्व पटल की तरफ देखते हैं, भारत के युवा मन को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आज भारत सच्चे में एक अवसरों की भूमि है। अनेक अवसर हमारा इंतजार कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि “जो देश युवा हो। जो देश उत्साह से भरा हुआ हो। जो देश अनेक सपनों को लेकर संकल्प के साथ सिद्धि को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हो। वो देश इन अवसरों को कभी जाने नहीं दे सकता।”

उन्होंने कहा कि “हम सभी के लिए ये भी एक अवसर है कि हम आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये अपने आप में एक प्रेरक अवसर है। हम जहां भी, जिस रूप में हों मां भारती की संतान के रूप में इस आजादी के 75वें पर्व को हमें प्रेरणा का पर्व मनाना चाहिए।”

Prime Minister Narendra Modi ने पढ़ी कविता

पीएम नरेंद्र मोदी  ने कहा कि “जब मैं अवसरों की चर्चा कर रहा हूं, तब मैथिलीशरण गुप्त की कविता याद आती है, जिसमें उन्होंने कहा है-अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है, तेरा कर्म क्षेत्र बड़ा है, पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ, आंखें खोल..। ये मैथिलीशरण गुप्त ने कहा था। लेकिन मैं सोच रहा था कि इस कालखंड में, 21वीं सदी के आरंभ में अगर उन्हें लिखना होता तो क्या लिखते?”

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इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मैथिलीशरण गुप्त की लाइनों की तर्ज पर कहा “अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा, हर बंदिश को तोड़, अरे भारत आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़..।”