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सुप्रीम कोर्ट पंहुची ट्रेक्टर रैली की हिंसा, जाँच के लिए न्यायिक आयोग की मांग

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नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर किसानों के ट्रेक्टर रैली में भड़की हिंसा का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इस मामले में देश के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है।

दायर याचिका में गणतंत्र दिवस के दिन किसानों के ट्रैक्टर रैली से भड़की हिंसा पर एक जांच आयोग गठन करने के लिए यह याचिका लगाई गई है।

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याचिका में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और गणतंत्र दिवस के दिन राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के लिए तमाम जिम्मेदारों और संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है।इतना ही नहीं बल्कि तत्काल प्रभाव से विधिवत इन सभी पर प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध भी इस याचिका के मार्फत सुप्रीम कोर्ट से किया गया है।

गौरतलब है कि गणतंत्र दिवस पर किसान संगठन के द्वारा कृषि कानून की वापसी के लिए ट्रेक्टर रैली निकाली गई थी। जिसमें हजारों की संख्या में किसान शामिल थे। लेकिन देखते ही देखते चंद मिनटों में ही दिल्ली की सड़कों पर कोहराम मच गया।

कहीं ट्रेक्टर से पुलिस को कुचलने की कोशिश हो रही थी, तो कहीं उन्हीं ट्रेक्टरों से बसों को हटाने के लिए रोका जा रहा था। कुछ किसान दिल्ली की सड़कों में बने डिवाइडर की ग्रिल को उखाड़ रहे थे तो कहीं बैरिकेट तोड़ने का नज़ारा सामने आया है।

दिल्ली पुलिस ने अब तक 22 एफआईआर दर्ज की है। इस हिंसा में अगर पुलिसकर्मियों के घायल होने के आंकड़े को देखा जाए तो 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए है। जिनमें 86 ऐसे हैं जो गंभीर रूप से घायल है।

ट्रेक्टर रैली के खिलाफ दायर हुई याचिका

इधर सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता विशाल तिवारी ने यह याचिका लगाई है। विशाल ने याचिका के मार्फ़त ये मांग रखी है कि “शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में 3 सदस्य जांच आयोग गठित किया जाए।

ये आयोग इस मामले में साक्ष्य एकत्र कर, रिकॉर्ड कर उसे समय बद्ध तरीके से रिपोर्ट के साथ माननीय न्यायालय के समक्ष पेश करें। विशाल ने इस जांच आयोग में उच्च न्यायालय से दोस्त सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को भी शामिल करने का निवेदन किया गया है।

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अधिवक्ता विशाल ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बताते हुए ये कहा है कि “लालकिले में झंडा फहराने के बाद ये पूरा मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित में भी प्रश्नचिन्ह भी लगा रहा है। इस लिहाज़ से एक स्वतंत्र आयोग बना कर इस पूरे मामले की जांच कराई जानी चाहिए।”