नई दिल्ली। कृषि कानूनों की वापसी के लिए किसानों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन पर राहुल गांधी ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। राहुल गाँधी ने पार्टी की तरफ से इस संबंध में एक बुकलेट (Congress Booklet) भी ज़ारी की है।
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राहुल गाँधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “राहुल गांधी कौन है? क्या करता है? यह बात हिंदुस्तान का हर किसान जानता है। किसान जानता है कि भट्टा परसोल में कौन खड़े थे, भूमि अधिग्रहण के समय नड्डा जी या मोदी जी नहीं बल्कि ‘राहुल गांधी’ किसानों के साथ खड़ा था।”
राहुल गांधी कौन है? क्या करता है? यह बात हिंदुस्तान का हर किसान जानता है। किसान जानता है कि भट्टा परसोल में कौन खड़े थे, भूमि अधिग्रहण के समय नड्डा जी या मोदी जी नहीं बल्कि 'राहुल गांधी' किसानों के साथ खड़ा था : श्री @RahulGandhi#RahulGandhiWithFarmers pic.twitter.com/MvMbkEXeyc
— Congress (@INCIndia) January 19, 2021
राहुल ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं डरता। मैं साफ-सुथरा आदमी हूं। वे मुझे गोली मार सकते हैं, लेकिन छू नहीं सकते। मैं देशभक्त हूं और अपने देश की रक्षा करूंगा। कोई मेरा साथ नहीं देगा तब भी अकेला लड़ता रहूंगा। यह मेरा धर्म है।”
इस दौरान राहुल गांधी ने कृषि कानूनों की कमियां बताने वाली एक बुकलेट भी ज़ारी की है। जिसमें कृषि कानून से किसानों को होने वाले नुक़सान उद्योगपतियों को होने वाले मुनाफे के बारे में बताया गया है। इस बुकलेट (Congress Booklet) का शीर्षक “खेती का खून, तीन काले क़ानून” दिया गया है।
Congress Booklet पर बोली भाजपा-खून से प्यार
इधर कांग्रेस की इस बुकलेट पर भारतीय जनता पार्टी ने भी राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर इस संबंध में पलटवार किया है।
जावड़ेकर ने कहा कि “कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज ‘खेती का खून’ नाम से एक किताब का प्रकाशन किया। कांग्रेस को खून शब्द से बहुत प्यार है, खून की दलाली जैसे शब्दों का उन्होंने बहुत बार उपयोग किया है।”
ये खेती का खून कह रहे हैं, लेकिन विभाजन के समय जो लाखों लोग मरें क्या वो खून का खेल नहीं था, 1984 में दिल्ली में 3 हजार सिखों को जिंदा जलाया गया क्या वो खून का खेल नहीं था।
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उन्होंने कहा कि ये खेती का खून कह रहे हैं, लेकिन विभाजन के समय जो लाखों लोग मरें क्या वो खून का खेल नहीं था, 1984 में दिल्ली में 3 हजार सिखों को जिंदा जलाया गया क्या वो खून का खेल नहीं था।
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जावड़ेकर ने कहा कि “कांग्रेस नहीं चाहती की किसान की समस्या का समाधान हो। सरकार और किसान की वार्ता सफल हो ये कांग्रेस नहीं चाहती। इसलिए कांग्रेस विरोध-अवरोध की नीतियां अपनाती है।”