रायपुर। मकर संक्रांति का पुण्य काल कल 15 तारीख रविवार को दिन भर मनाया जायेगा। मकर संक्रांति को दान और स्नान का महापर्व भी कहा जाता है। संक्रांति महापर्व पर क्या कुछ विशेष ध्यान में रखते हुए पूजा अर्चना की जानी चाहिए इस संबंध में राजधानी रायपुर के सबसे प्राचीन माँ महामायदेवी मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने कुछ जानकारी साझा की।
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पंडित शुक्ला ने बताया कि “सनातन धर्म में संक्रान्ति पर्व में स्नान व दान का बहुत अधिक महत्त्व बताया गया है। इसलिये संक्रांति के दिन तीर्थ स्नान करने या घर मे स्नान कर रहे हों तो स्नान करते हर हर गंगे, जय माँ नर्मदे आदि आदि तीर्थजल को ध्यान प्रणाम कर स्नान करने के बाद भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देकर, यथाशक्ति दान जरूर करना चाहिये।”
खीर का भक्षण कर रहा है संक्रांत
पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि आज 14 जनवरी 2023 को रात्रि 8.43 बजे सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करेगा। जिसमें पुण्य काल कल 15 तारीख रविवार को दिन भर रहेगा। संक्रांत का उत्तर दिशा में गमन और दृष्टि ईशान कोण में है। इसका वाहन व्याघ्र, उपवाहन अश्व, आयुध गदा है। संक्रांत ने पीले रंग का वस्त्र पहना हुआ है, वहीं चांदी के पात्र में खीर का भक्षण कर रहा है। संक्रांत ने कुंकुम लेपन किया है, आभूषण में कंकण धारण कर कुमार अवस्था में प्रवेश कर रहा है।
दान का होता है विशेष महत्त्व
पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि “संक्रांति के दिन किया गया दान अन्य सामान्य दिनों की अपेक्षा हजार गुना अधिक पुण्य फल देने वाला रहता है। गुप्त दान का विशेष महत्त्व है। इसलिए हमारे बड़े बुजुर्ग तिल के लड्डू में सोने, चांदी तथा सिक्के आदि छुपाकर दान करते थे।
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हमारे पूर्वज हर पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी, संक्रांति, तीज त्योहार आदि आदि समस्त पर्वो में सेर-सीधा का दान करते थे, जिसमें हर प्रकार के अन्न व खाद्य सामग्री सहित शास्त्रों में बताये हुए समस्त दस दान होते थे। आजकल यह प्रथा लुप्त होते जा रहा है।” हमारे शास्त्रों में बड़े बड़े दानवीरों की कथा का वर्णन है, जिन्होंने अपना सब कुछ दान कर दिया था। जैसे-राजा हरिश्चन्द्र, दानवीर कर्ण, महर्षि दधीचि, राजा मोरध्वज आदि आदि।