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कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट का मत, विरोध प्रदर्शन करना किसानों का मौलिक अधिकार

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दिल्ली /कृषि कानून को लेकर आंदोलन कर रहे किसान और सरकार के बीच लगातार खाई बढ़ती जा रही है। एक तरफ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर है जिन्होंने 8 पन्ने का पत्र लिखकर किसानों का आग्रह किया है कि वे पत्र को जरूर पढ़ें तो दूसरी तरफ किसान है कि अपनी तीनों कृषि कानून जब तक वापस नहीं होता तब तक आंदोलनरत रहने की इच्छा जाहिर कर चुके है।
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इधर किसान आंदोलन से जुड़े याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि जब तक कृषि कानून पर कोई निर्णय नहीं निकल जाता सरकार उसे अस्थाई तौर पर अमल में ना लाएं। अब आगे अटॉर्नी जनरल सरकार से इस पर निर्देश लेंगे। इस दौरान बेंच ने कहा है की विरोध प्रदर्शन करना किसानों का मौलिक अधिकार है इसलिए सुप्रीम कोर्ट किसानों का धरना खत्म करने आदेश नहीं दे सकती।

ज्ञात हो कि पिछले 23 दिन से किसान दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलनरत है जिसके चलते पूरा दिल्ली छावनी के रूप में परिवर्तित हो चुका है वही बढ़ती ठंड यातायात प्रदूषण और करोना जैसी घातक बीमारी के बीच लगातार किसानों का स्वास्थ्य गिरता जा रहा है। बता दे कि 2 दिन पहले किसान आंदोलन के दौरान बाबा राम सिंह ने सरकार के रवैये से आहत होकर आत्महत्या कर ली थी तो वही कल टिकरी बॉर्डर पर एक किसान की ठंड के चलते मौत हो गई है। अगर आंकड़ों की बात करें तो अब तक कृषि कानून के विरोध में आंदोलन कर रहे 38 किसानों की मौत हो चुकी है। बावजूद इसके सरकार अपने रुख पर कायम है तो दूसरी तरफ किसान कृषि बिल के विरोध में अडिग।