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कुवैत में आग से जल कर मरे 45 भारतीयों के शव लेकर विशेष विमान केरल पहुंचा

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दिल्ली। कुवैत में दो दिन पहले लगी भीषण आग में मारे गए 45 भारतीयों के शवों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विशेष विमान केरल के कोच्चि के लिए पहुंच गया है। इस घटना में कुल 48 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें 45 भारतीय हैं। विमान केरल में सुबह 11 बजे कोच्ची एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। कुछ देर बाद यह दिल्ली के लिए रवाना होगा।

विमान के साथ आए मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह

केंद्रीय मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह, जो हाल ही में विदेश मंत्रालय में  राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त हुए हैं, कुवैत से इसी विमान में वापस पहुंचे। कोच्ची एयरपोर्ट पर एंबुलेंस स्टेंडबाय में पहले से खड़ी थी। अब शवों को विमान से उतारने के बाद डीएनए टेस्ट के आधार पर हुई पहचान के हिसाब से उनके परिजनों को सौंपा जाएगा।

इससे पहले कुवैत में भारतीय दूतावास ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, “कुवैत में आग की घटना में मारे गए भारतीय मृतकों के पार्थिव शरीर को लेकर एक विशेष भारतीय वायुसेना का विमान कोच्चि के लिए रवाना हो गया है। राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह इस विमान में सवार हैं। कोचीन हवाई अड्डे पर एम्बुलेंस स्टैंडबाय पर खड़ी थी।

यह एक त्रासदी है: चांडी ओमान

कुवैत अग्निकांड के पीड़ितों के पार्थिव शरीर कोच्चि हवाई अड्डे पर पहुंचने पर केरल कांग्रेस विधायक चांडी ओमन ने कहा कि यह एक त्रासदी है। हमने इस त्रासदी में अपने साथी भाइयों को खो दिया है। मुझे उम्मीद है कि कुवैत सरकार दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करेगी और वे शोक संतप्त परिवारों को मुआवजा प्रदान करेंगे। भारत सरकार को आवश्यक कार्रवाई करनी होगी ताकि हमारे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर आवास मिल सके।

भारत सरकार करती है भारतीयों के हितों की रक्षा: मुरलीधरन

भाजपा नेता वी मुरलीधरन ने कहा कि जैसे ही इस घटना के बारे में पता चला प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्री की मौजूदगी में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। प्रधानमंत्री के निर्देश पर विदेश राज्य मंत्री कल कुवैत गए। उन्होंने शवों को भारत वापस लाने और इस त्रासदी में घायल हुए लोगों के इलाज की निगरानी की। वे सभी शवों को भारत लेकर आएंगे। भारत के नागरिकों के हितों की रक्षा भारत सरकार करती है, इसलिए मुझे समझ में नहीं आता कि किसी राज्य के मंत्री को उस राज्य के लोगों के मुद्दों का ध्यान रखने के लिए किसी दूसरे देश की यात्रा क्यों करनी पड़ती है।