रायपुर। गंभीर रूप से बीमार रोगियों की विभिन्न रिपोर्ट का निष्कर्ष और उपचार प्रोटोकॉल अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से AIIMS के चिकित्सकों को उपलब्ध होगा। आईआईटी भिलाई एम्स के लिए हाइब्रिड डिजिटल हैल्थ केयर टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म ‘स्मार्ट-ईआर’ विकसित कर रहा है। इसका पहला चरण ट्रामा एवं इमरजेंसी में सफल रहा तो इसे वृहद स्तर पर एम्स में लागू किया जा सकता है।
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इस संबंध में आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रो. राजीव प्रकाश और डीन (रिसर्च) प्रो. संतोष विश्वास ने एम्स के चिकित्सकों के समक्ष इस प्लेटफॉर्म के प्रमुख बिंदुओं को प्रस्तुत किया। इसके अंतर्गत ट्रामा-इमरजेंसी में आने वाले अति गंभीर रोगियों की विभिन्न रिपोर्ट्स जैसे ईसीजी, एसपीओटू, ह्रदय गति, शरीर का तापमान आदि महत्वपूर्ण पैरामीटर्स को एआई की मदद से परखा जाएगा।
यह प्लेटफॉर्म कुछ ही सेकंड्स में रोगी का संपूर्ण डायग्नोसिस करके उपचार प्रोटोकॉल और उपचार के विभिन्न माध्यम का सुझाव देगा। इस डेटा के आधार पर चिकित्सकों को निर्णय लेने में आसानी हो सकेगी। यह प्लेटफॉर्म क्लिनिकल डिसिजन सपोर्ट सिस्टम के रूप में कार्य करेगा। अंतिम निर्णय चिकित्सकों द्वारा ही लिया जाएगा। आईआईटी और AIIMS के विशेषज्ञ इस दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं। एक बार पूरी तरह विकसित हो जाने के बाद इसकी सहायता से दूरस्थ क्षेत्रों में टेलीमेडिसिन और वीडियो कांफ्रेंसिंग की मदद से रोगियों को त्वरित उपचार प्रदान किया जा सकेगा।
रोगियों के उपचार में महत्वपूर्ण
AIIMS के कार्यपालक निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने आईआईटी के साथ की गई इस पहल का स्वागत करते हुए इसे रोगियों के उपचार में महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने इस माध्यम के विधिक पहलुओं और चिकित्सकों की भूमिका को स्पष्ट करने का भी सुझाव दिया।
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परियोजना समन्वयक डॉ. देवेंद्र कुमार त्रिपाठी का कहना था कि यदि कोई रोगी छाती में दर्द की शिकायत लेकर आता है तो उसके लक्षणों और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर पता चल सकेगा कि रोगी को ह्द्याघात हुआ है या मायोकॉडियल इंफेक्शन से ग्रस्त है। इस आधार पर तुरंत ही उपचार प्रदान किया जा सकेगा। इस अवसर पर अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक अग्रवाल, अधिष्ठाता (शोध) प्रो. सरिता अग्रवाल और डॉ. नमन अग्रवाल उपस्थित थे।